अशोक जी,जो हिमाचल के तीसा गांव (डलहौजी से 70 किलोमीटर ऊपर)के है, उन्होंने रोजगार पर स्वदेशी विचारों से प्रेरित होकर घर पर ही रोजगार और कमाई का साधन बना लिया है।
उन्होंने इसके बारे में एक पोस्ट डाली।जो मुझे इतनी अच्छी लगी कि उन्हीं के शब्दों में उसे मैं आपको भेज रहा हूं।
पर्यटन रोजगार सृजित करता है !
“एक ब्रिटिश परिवार पहली जून से पाँच जून तक हमारे साथ है। हमारा लक्ष्य ग्राम पर्यटन (village tourism) को विकसित करना है।”
“हम उन्हें अपनी संस्कृति से रूबरू करवा रहे हैं। हम उन्हें लोक गीत, लोक नृत्य, स्थानीय पनावा आदि दिखाते हैं। और पारंपरिक व्यंजन जैसे बबरू, पिंदड़ी, कढ़ी, ऐंहण, मक्की की रोटी, मण्डे, खीर आदि परोसते हैं।
“हमने दो लोगों को सीधा व बहुतों को परोक्ष रोजगार दिया है। अगर हम सभी ऐसे ही रोजगार देने वाले बनें तो एक समय ऐसा आएगा जब भारत में कोई भी बेरोजगार नहीं बचेगा”~अशोक
पर्यटन भारत का सबसे तेजी से विकसित होता हुआ रोजगार का और समृद्धि का साधन है।हम सब भी सोचे कि हम और अपने परिचितों को स्थानीय स्तर पर भी पर्यटन के नए रास्ते तलाश कर इसे आय और रोजगार का साधन बना सकते हैं,क्या?~’स्वदेशी-चिट्ठी’