कल मैं कुरुक्षेत्र के श्री कृष्णा यूनिवर्सिटी में गया!विषय तो स्वदेशी व रोजगार ही था,पर मैंने वहां के डॉक्टर विद्यार्थियों से 5 सवाल पूछे
मैंने पूछा “क्या उन्हें यह ध्यान है कि इस सरकार ने स्टंट के रेट 85% कम किए हैं ! अब एक लाख ,70हजार₹ का स्टंट केवल ₹28000 में मिल रहा है!यह कहां की नैतिकता है,जो अभी तक डाक्टर,हस्पताल इतना मोटा मुनाफा कमा रहे थे? क्या आप इसको ठीक करने का संकल्प लेते हो?”
“दूसरा क्या आप भावी डॉक्टर,जो जनता के टैक्स से ही पढ़ रहे हो,सस्ती व सबको सुलभ चिकित्सा का संकल्प करते हो?”
तीसरा “क्या तुम्हें पता है कि हर 10 वर्ष में 25% लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठते हैं! पर 16% लोग केवल बीमारी व उसको ठीक करने में होने वाले महंगे इलाज के चलते वापस गरीबी रेखा में चले जाते हैं?”
चौथा “क्या आप सरकारी नौकरी नहीं,बल्कि बाकियों को भी रोजगार देने की सोच रहे हो?”
और अंत में मैंने पूछा “आयुर्वेद के प्रति भारत के लोगों की सोच है कि इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं होता! यह सस्ता व स्थाई इलाज होता है!लेकिन क्या आप योग व आयुर्वेद से सस्ता व पूर्ण इलाज करने का संकल्प करते हो या आप भी एलोपैथी की दवाइयां ही बांटने का विचार मन में पाले हुए हो?”
वहां के डॉक्टर विद्यार्थियों ने बहुत ही सकारात्मक उत्तर दिए और उन्होंने एक श्रद्धा पूर्ण आयुर्वेद का प्रसार और सबको सुलभ चिकित्सा सुविधा कराने वाले आयुर्वेदिक डॉक्टर बनने का संकल्प व्यक्त किया!
डॉ बलदेव जो वहां पर अब वीसी बन गए हैं उन्होंने सब डॉक्टरों को इस बात के लिए शुभकामनाएं भी दी:-सतीश
देश हमें देता है सबकुछ,
हम भी तो कुछ देना सीखें…