तीन दिन पहले हरियाणा के प्रान्त संयोजक सीतेन्द्रजी,सहविभाग संयोजक कुणालजी कार्यालय पर मिलने आए! सीतेन्द्रजी ने बताया “फ़रीदाबाद में मैं sector 55 के सरकारी मॉडल संस्कृति विद्यालय का प्रिंसिपल हू!वहाँ पर इस बार 12वीं तक के 400दाख़िले होने हैं!किन्तु 5100 विद्यार्थी प्रवेश चाहते हैं”
मैंने कहा “ऐसा कैसे हुआ?क्योंकि सरकारी स्कूल के बारे में तो धारणा अच्छी नहीं रहती!” तो वे बोले “हमने गत वर्ष अपने स्कूल का infrastructure बहूत अच्छा खड़ा किया है!Honda वालों से बात करके लगभग 5लाखका furniture ले आए और भी दो लाख का अन्य सामान किसी से सहयोग में मिला है 20 रुपये प्रति admission fee से भी एक लाख रुपया मिल गया!बिना सरकारी सहायता लिए हमने स्कूल का ढांचा बहूत अच्छा खड़ा किया!बाक़ी अध्यापकों ने भी मेहनत की!परिणाम बहूत अच्छे आने लगे!तो लोग इस बार प्राईवेट स्कूलों को छोड़कर मेरे स्कूल में admission लेना चाहते है!”
मैंने उनको शाबासी दी और सोचा कि यदि सभी सरकारी विद्यालयों के प्रिंसिपल ऐसी मेहनत करें तो शिक्षा का व्यवसायीकरण बंद होने में देर नहीं लगेगी!
*परसों मैं मध्य प्रदेश के दमोह व सागर में व्याख्यान माला के लिए गया! बहुत सुंदर आयोजन था! रोज़गार व स्वदेशी विकास मॉडल यह विषय वहाँ पर रखा!वहाँ पर ही स्वदेशी की एक कार्यकर्ता Dr. वंदना गुप्ता पर्यावरण प्रेमी हैं!प्रतिदिन एक पौधा वह दान करती है!उन्होंने अपनी अस्पताल की छत पर मुझे विभिन्न प्रकार के पौधों का अंबार दिखाया!
सभी अपने जन्मदिन पर अगर एक पौधा भी लगाए तो पर्यावरण संरक्षण में बहूत मदद मिलेगी..सतीश…जय स्वदेशी जय भारत..