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सिख समाज से संवाद अति आवश्यक!

अपने हरियाणा के प्रवास पर कल मैं रोहतक और जींद जिले के सफीदों के स्थान पर सिख समाज से संवाद हेतु पंहुचा। वहां अच्छी संख्या में सिख बंधु आए हुए थे।
मैंने बातचीत शुरू की “आप लोगों को देश और समाज से क्या अपेक्षा है? सिख समाज कैसा सोचता है? चुनाव में किधर रुझान है?”
जो उनके प्रमुख लोग बोले,उसे सुनकर कुछ संतुष्टि तो हुई लेकिन अधिक हैरानी हुई।वह मोटे तौर पर संघ,भाजपा को पसंद करने वाले लोग हैं। किंतु उन्हें बहुत सी सूचनाऐं गलत हैं,भ्रामक हैं। यहां सब लिखना तो संभव नहीं, पर पंजाब या उनके विषयों पर शेष समाज और उनकी समझ में बहुत अंतर है।

 

एक ने पूछा “किसान आंदोलन के समय हमें आतंकवाद समर्थक क्यों कहा गया? मैंने पूछा “किसी संघ, भाजपा के प्रमुख व्यक्ति ने कहा क्या? वे बता नहीं पाए। लेकिन कहते हैं की आप लोगों ने कहा है।तो मैंने उन्हें कहा “आप लोग कौवा कान चुरा कर ले गया, इस पर विश्वास करने की बजाए कान को हाथ लगाकर ही देख लो। तथ्य देखो, अफवाहों पर क्यों जाते हो??

खैर बाद में वे संतुष्ट हुए और कहने लगे वैसे हम वोट तो भाजपा को ही देंगे,कांग्रेस ने तो हमें बहुत नुकसान पहुंचाया है।

लेकिन मैंने निष्कर्ष निकाला कि सिख समाज से संवाद की अत्यंत आवश्यकता है अन्यथा वहां तरह-तरह के झूठे समाचार, पक्के विमर्श बन जाते हैं,हमें ध्यान भी नहीं रहता। संवाद करने से, बैठने से समस्या का हल हो सकता है।…सभी सोचें..सतीश

कल परसों के कुछ चित्र सिख बंधुओं के साथ

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

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