आज दिल्ली के स्वदेशी कार्यालय धर्मक्षेत्र’ में फ़्रांसीसी दूतावास का प्रतिनिधि मंडल मिलने के लिए आया!
कार्यालय के एक कर्मचारी ने पूछा “सतीशजी,ये स्वदेशी के कार्यालय पर ये विदेशी क्या करने आए थे? पहले तो मैने हँसते हुए कहा “तुम्हारी चाय पीने!”
पर बाद में मै स्वयं सोच में था,क्यों आए?उनके प्रश्न व प्रश्न के पीछे का भाव क्या था?क्योंकि कुछ दिन पहले भी स्वीडन व सिंगापुर के दूतावास से भी आए थे!
तो पहली बात तो यह हैकि वे स्वदेशी जागरण मंच के प्रभाव को मान रहे हैं, वे स्वीकार कर रहे हैं कि देश के वर्तमान व भावी आर्थिक-राजनैतिक परिदृश्य में स्व:जा:मंच का बड़ा प्रभाव है व रहेगा! इसलिए वे न केवल हमें जानना समझना चाहते हैं बल्कि हमारे साथ संबंध संपर्क भी रखना चाहते हैं!
उन्होंने जानना चाहा “मनरेगा,जनधन, किसानों के लोन माफ़ी,विनिवेश लघु,कुटीर उद्योग आदि के बारे में हमारे विचार क्या हैं?” हमारी और से अपने डा:अश्वनी महाजन बहुत अच्छे से न केवल उन्हें उत्तर दे रहे थे बल्कि स्वदेशी विचार का समग्र दृष्टिकोण भी समझा रहे थे!
उन चार में से एक बहुत अच्छी हिन्दी भी बोल रहे थे!
कोई सवा घंटा की मुलाक़ात के बाद जब मैं वापिस कार्यालय की सीढ़ियाँ चढ़ रहा था तो गुनगुना रहा था…
“विश्व में गूँजे हमारी भारती,
जन जन उतारे आरती..
धन्य देश महान…धन्य हिन्दुस्तान!”