पिछले दिनों जब मैं भोपाल प्रवास पर गया तो स्टेशन से निकलते हुए मैंने वहाँ थ्रीव्हीलरों के पीछे एक पोस्टर देखा! ‘मेरा स्वदेशी mobile’ ! बात केवल किसी कंपनी के प्रचार की नहीं थी,इससे ध्यान में आया कि अब स्वदेशी एक ब्रांड बन गया है!
गत दिनों जब PayTm में बाहरी पैसा लगा और उस पर विदेशी का ठप्पा लगा तो उसके चेयरमैन ने टीवी इन्टरव्यूह में कहा “नहीं,नहीं हम तो मारुति की तरह पूरी तरह स्वदेशी हैं!” आजकल भारत की कंपनियाँ तो ‘स्वदेशी’ शब्द लिखने में ही अपनी सेल में बढ़ोतरी देखने लगी हैं!
मेरा एक भांजा अमेरिका में रहता है उसने online business शुरू करने की सोची!तो चर्चा के बाद उसने उसका नाम रखा ‘All स्वदेशी’ उसका भी मानना था कि भारत में अब स्वदेशी के बारे में धारणा बहुत प्रगत हो गई है! कभी ज़माना था कि स्वदेशी को पिछड़ा व घटिया माना जाता था किन्तु आज इसरो,अमूल, पातंजलि व मैट्रो की सफलता के पश्चात तो सारे देश में ‘स्वदेशी’ गुणवत्ता का,सफलता का रोज़गार व समृद्धि का प्रतीक बन गया है!
वह दिन दूर नहीं जब भारत के लोग बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उत्पादों को पूरी तरह त्यागकर पूर्ण स्वदेशी का ही उपयोग अपने जीवन में करने लगेंगे! क्यों,आपको क्या लगता है?अवश्य बताईयेगा!~आपका सतीश
मेरा हो मन स्वदेशी, मेरा हो तन स्वदेशी
मर जाऊँ तो भी मेरे सर कफ़न हो स्वदेशी!