कश्मीरी लाल जी और मै कलकत्ता से आगे वीरभूम जिले के तारापीठ स्थान पर हैं। यहाँ पूर्वी भारत के प्रांतों के 200 से अधिक कार्यकर्ताओं का स्वदेशी विचार वर्ग शुरू है।
उद्घाटन में पूर्व रेल राज्य मंत्री मुकुल राय आये।वे तृणमूल पार्टी के न.3-4 के वरिष्ठ नेता थे, सांसद थे। इस्तीफा दे, अब बंगाल भाजपा के नेता हैं! 15-20 मिनट खुल कर बोले।
स्वदेशी की आवश्यकता पर बोले, पूरा समर्थन करते बोले “बंगाल में पोरिबर्तन’ आ रहा है, ये स्वामी विवेकानंद, सुभाष बोस, श्यामाप्रसाद मुखर्जी की भूमि है, स्वदेशी का प्रथम आंदोलन बंग भंग भी तो यहीं हुआ था..यहाँ भगवा लहर फिर से आ रहा है…”
कल संघ के प्रान्त प्रचारक विद्युत मुखर्जी व अन्य संघ अधिकारी भी आये…
मैने इन 3 दिनों में रेहड़ी वालों, टैक्सी चालकों, किसानों, महिलाओं सब से पूछा ” कैसा है,ममता बेनर्जी का राज?”
सब का एक जैसा उत्तर था “उसे ममता दीदी नहीं, ममता बानो कहो”..
“इसकी तृणमूल पार्टी ने 2 ही काम किये हैं”
“1. इसने मुस्लिम तुष्टिकरण की हद कर दी है।
2. इसके कार्यकर्ता गुंडे,बदमाश व भ्रष्ट हैं..”
हर कोई कह रहा है “Bjp आएगी..पूरा पता नहीं!पर ममता जरूर हारेगी…हारनी चाहिये..”
~ सतीश- ‘स्वदेशी-चिट्ठी’
(नीचे चित्र में स्वदेशी वर्ग के मंच पर, अ:भा:संयोजक अरुण ओझा जी,मुकुल राय व् स्वदेशी अधिकारी… सामने कार्यकर्त्ता…जय हो)
मुकेरियां से आयी मुस्कान…
पत्नी: “तुम मुझसे कितना प्यार करते हो..?”
पति: “शाहजहाँ से भी ज्यादा..”
पत्नी: ” तो क्या तुम भी ताजमहल बनवाओगे..?”
पति: “मैने तो प्लाट भी ले लिया है। तुम ही देरी कर रही हो..(मरने की)”
परिणाम:…रात को पतिदेव को भूखा ही सोना पड़ा