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दिल्ली में ऑटो वाले हैं संतुष्ट, खुश व स्वाभिमानी! वे स्व-रोज़गार वाले हैं!मालिक हैं,नौकर नहीं!

आज मैने दिल्ली में स्वदेशी कार्यालय से संघ कार्यालय उदासीन आश्रम जाने के लिये ऑटो किया!
मैने ऑटो चालक राकेशराम,जो 52 साल का था से पूछा “कितना कमा लेते हो एक दिन में, भाई?”
थोड़े न नुकर के बाद बोला “दिन में कुल 1500-1600₹ का काम मिल जाता है!” “उसमे से 250-275₹की गैस व 300₹किश्त आदि के निकाल कर 900-1000₹बच ही जाते हैं!”
“कितना समय ऑटो चलाना पड़ता है?” मैने पूछा!
“सवेरे 8 से पहले ही निकल लेता हूँ!और शाम को 8-9 बजे घर वापिस!” और..”महीने में 25-26दिन तो चलाता ही हूँ!”
“इस काम से खुश हो?” मेरा अगला सवाल था!
“हाँ, साहेब!पिछले 26 साल से चला रहा हूँ। इससे मुझे कहाँ से कैसी सवारी मिल जायेगी,इसका हिसाब है! बच्चे तीनों ठीक पड़ा लिये हैं! शाहदरा में मकान भी छोटा सा बना लिया है! राम जी की बड़ी कृपा है!”
3 दिन पहले जब मोदी जी ने संसद में बोलते हुए रोज़गार गिनाते हुए ऑटो व् टेक्सी से रोजगार के आंकड़े बोले तो मेरे मन में इच्छा थी की ऑटो वाले की असली कमाई जानने की!
दिल्ली में इस समय 2.2 लाख ऑटो हैं और 1.4लाख टैक्सी! अनेक ऑटो व् टैक्सी चालकों से बात करने के बाद मेरे ध्यान में 2 बातें आई हैं!1.इनकी कमाई 25 से 30,000₹ मासिक तक हो जाती है!
दूसरा बड़ी बात दिखती है, ये स्व रोजगारी लोग संतुष्ट प्रसन्न होते हैं, जो कई बार धनाढ्य लोग भी नहीं दिखते!
सेल्फ़ी विद ऑटो ड्राईवर…?हाँ
~सतीश– ‘स्वदेशी-चिट्ठी’

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

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