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250 युवतियों ने किया संकल्प… We will be not job seeker,but job Provider

आज मैं पूना के महर्षि कर्वे स्त्री शिक्षण सस्थांन के छात्रावास में गया! वहां पर रोजगार का स्वदेशी दृष्टिकोण पर बोलना था!
हाल में घुसते ही मेरे ध्यान में आया कि लड़कियां कुछ ज्यादा ही अनुशासन में व शान्त दिख रहीं थीं! दिल्ली से कोई बड़ा वक्ता आया है,शायद इसका कुछ तनाव उनके मन पर होगा! यह सोच मैनें विषय शुरू करते ही उन्हें दो चुटकुले सुना दिए! सारा हाल तालियों व खिलखिलाहट से गूंज पड़ा!
मुक्त वातावरण(comfort zone) बनते ही मैने उनसे पूछा “आप में से कितनी हैं जो यह सोचती हैं कि पढाई करने के बाद मैं कोई न कोई अपना काम जैसे ब्यूटी पार्लर या बूटीक या आई टी कंपनी खोलूंगी और नौकरी के चक्कर में नहीं पड़ूगी?”
उनमें से कोई 20 लड़कियों ने हाथ खड़े किए!
फिर मैने कहा “तुम्हें यह संकोच व डर है कि अपना काम कैसे करेगीं, पैसे कैसे जुटाएंगी व फेल हुए तो क्या होगा,यही न?”
सबका उत्तर आया “हां,यही है,कारण!”
तो मैने उन्हें कहा सुनो “तुम्हारे प्रातं की एक 9वीं पास,घर में गोबर थेपने वाली कल्पना सरोच…की कहानी, जो आज 700 करोड़ की कंपनी की मालिक है!”
और मैनें उन्हें उसकी पूरी कहानी व बिट्टू टिक्की वाला की कहानी भी सुनाई!
लड़कियों में जोश भर गया!तालियों से हाल बार बार गूंज रहा था!
श्रोता व वक्ता दोनों जोश में थे!
मैनें उन्हें कहा “ दोनों हाथ उठाकर मेरे पीछे बोलो I will not be job seeker, i will be job Provider.”
उन्होने वैसा किया…उनके स्वर की ऊचांई देखकर मैं समझ गया दवाई काम कर रही है!
लगभग एक घंटे की वार्ता के अंत मैने पहला प्रश्न फिर पूछा “अब जिनकों लगता है, कि हम कोई न कोई अपना काम करेंगी, हाथ खड़ा करो!”
आश्चर्यजनक रूप से शुरू में जो केवल 10% हाथ खड़े थे अब 90% लड़कियों ने हाथ खड़े कर दिए!
एक विजयी भाव ले हम हाल से निकले!
जब उनकी प्रमुख के साथ चाय पीकर निकले तो बाहर गेट के पास तीन लड़कियां सीधे मेरे पास आ गयीं! एक बोली “सर आपका फेसबुक पेज व फोन न: मिल सकता है! क्यों? मैने पूछा! उनके शब्द कम भाव अधिक बोल रहे थे!
“आपने जो कहा है,हमें बहुत अच्छा लगा है?”
“कभी 15-18 साल बाद तुम्हारी भी कहानी सुना सकूंगा?”
“हां,Promise sir!”उस बच्ची के शब्द सुन मैं भावुक हो उठा!
प्रसिद्ध पुणे यूनिवर्सिटी के VC प्रो: नीतिन करमाकर के साथ सवेरे गम्भीर चर्चा, महर्षि कर्वे की कुटिया में स्टाफ के साथ व बच्चियां,शुरू में व बाद में हाथ खड़ा कर उद्यमिता में जाने का आश्वासन! जय हो!
~सतीश- ‘स्वदेशी-चिट्ठी’

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

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