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राष्ट्रीय परिषद बैठक 4-5 जून, 2022, नागपुर (महाराष्ट्र) 

प्रथम सत्र

दिनांक 4 जून 2022 को स्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय परिषद बैठक के उद्घाटन सत्र का शुभारंभ, कार्यक्रम अध्यक्ष श्रीधर गाडके, श्री आर. सुन्दरम, श्री अरूण ओझा, श्री अजय पत्की, डॉ. अश्वनी महाजन, डॉ. धनपतराम अग्रवाल, श्री कश्मीरी लाल, श्री सतीश कुमार, श्रीमति अमिता पत्की आदि द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से किया गया। इसके पश्चात मंच संचालक डॉ. राजकुमार मित्तल द्वारा सभी सम्मानित अधिकारियों का परिचय एवं स्वागत किया गया।

राष्ट्रीय परिषद की बैठक की प्रस्तावना के अंतर्गत श्री अजय पत्की, अ.भा. सहसंयोजक ने बताया कि स्वदेशी जागरण मंच संघ के आर्थिक समूह एवं अन्य कुल 11 विविध संगठनों के साथ मिलकर स्वावलंबी भारत अभियान को प्रांत एवं जिला स्तर पर कार्यशीलता एवं गति देने के साथ क्रियान्वयन करेगा, जिससे देश के 37 करोड़ युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए प्रयास किया जायेगा। स्वावलंबी भारत अभियान के सह समन्वयक श्री जितेन्द्र गुप्त द्वारा बताया गया कि इस अभियान की परिकल्पना दो वर्ष पूर्व शुरू हुई। जिसमें देश में विकराल रूप धारण कर रही बेरोजगार की स्थिति पर आर्थिक समूह के विविध संगठनों ने मिलकर योजना बनाई। राष्ट्रीय स्वयसंवेक संघ से माननीय डॉ. कृष्ण गोपाल जी से प्राप्त मार्गदर्शन के अनुसार उद्यमिता से ही रोजगार सृजन एवं देश का वातावरण बदलने का कार्य करना चाहिए। आगामी दिनों में क्षेत्रीय कार्यशालाओं का आयोजन होगा, जिससे स्वरोजगार की दिशा में कार्य आगे बढ़ेगा। उद्यमिता एवं स्वरोजगार के माध्यम से युवाओं में मानसिक परिवर्तन के लिए हर संभव प्रयास इस अभियान के माध्यम से किया जायेगा। जिससे देश का युवा जॉब सीकर से जॉब प्रोवाईडर की ओर अग्रसर हो सके।

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए श्रीधर गाडके जी, सह संघचालक नागपुर महानगर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा कि नागपुर विचार प्रवाह की गंगोत्री है और जो विचार स्वदेशी जागरण मंच ने स्वावलंबी भारत के लिए किया है वो चलते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक उन्नति के साथ भौतिक उन्नति की आवश्यकता होती है। जिस प्रकार राष्ट्रऋषि दत्तोपंत जी ने मजदूर संघ से कार्य करने की दृष्टि, जिसमें देशहित में करेंगे काम, काम के लेंगे पूरा दाम, की अवधारणा पर कार्य करते हुए युवाओं को देश की समृद्धि के लिए चिंतन के साथ कृति का भाव रखने का आहवान किया। हमें चिंतन ही नहीं अपितु इसके लिए समय भी देना होगा। यदि देश को समृद्ध बनाना है तो लोगों को, समाज को, समृद्ध करना होगा।

श्री सतीश कुमार, अ.भा. सहसंगठक, स्वदेशी जागरण मंच ने राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों को नारों का उद्घोष कराया। ‘गांव शहर की एक ही पुकार, उद्यमिता और स्वरोजगार’ तथा ‘स्वरोजगार अपनायेंगे, देश समृद्ध बनायेंगे’। उसके बाद सभी प्रांतों से आए हुए प्रतिभागियों के बारे में जानकारी प्राप्त की एवं बताया कि दो दिन चलने वाली बैठक में ‘स्वावलंबी भारत अभियान’ केन्द्र बिन्दु में रहेगा। देश की सबसे बड़ी समस्या देश के 37 करोड़ युवाओं को कौशल विकास के माध्यम से उपयोगी बनाकर रोजगारयुक्त बनाने की चुनौती को स्वीकार कर स्वदेशी जागरण मंच के मुद्दों, जैसे खुदरा व्यापार, जीएम बीज, डब्ल्यूटीओ, पर्यावरण, मंहगाई, आरसेप, इत्यादि के साथ सामाजिक एवं शैक्षिणक संगठनों के सहयोग से अगले 2 से 3 वर्षों में बेरोजगारी का कौशल विकास एवं स्वरोजगार के माध्यम से समाधान करेंगे।

  • द्वितीय सत्र 

इस सत्र में सर्वप्रथम क्षेत्रीय कार्यवृत प्रस्तुत किये गये। 1. दक्षिण क्षेत्र – श्री सत्यनारायण, 2. दक्षिण मध्य क्षेत्र – डॉ. लिंगामूर्ति, 3. पश्चिम क्षेत्र – श्री रमेश दवे, 4. मध्य क्षेत्र – डॉ. राघवेन्द्र सिंह चंदेल, 5. उत्तर पश्चिम क्षेत्र राजस्थान – डॉ. सतीश आचार्य, 6. उत्तर क्षेत्र -डॉ. राजकुमार मित्तल, 7. प.उ.प्र.-डॉ. राजीव कुमार, 8. पूर्वी उ.प्र. -डॉ. सर्वेश पांडेय, 9. उत्तरपूर्व क्षेत्र -श्री सचिन्द्र वरियार, 10. पूर्व क्षेत्र -श्री शत्रुघ्न तरई, 11. पूर्वोत्तर क्षेत्र -श्री अनन्दा शंकर पाणीग्रही।

इसके उपरांत डॉ. प्रदीप चौहान ने अपनी पुस्तक ’प्हदपजपदह 37 ब्तवतम ळतवूजी म्दहपदमे’ के बारे में जानकारी साझा की। उन्होंने पुस्तक के बारे में बताते हुए कहा कि युवा ही किसी देश की दिशा और विकास में सहायक होते है और जिस देश में युवा ज्यादा होते है, वह देश विकास ज्यादा करता है। तत्पश्चात श्रीमति अर्चना मीना ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वह सक्सेस स्टोरी पर आधारित पुस्तक लिखने का विचार रखती है, जिसमें 101 सफल उद्यमियों का ब्यौरा दिया जायेगा। अंत में सत्र के अध्यक्ष डॉ. राजकुमार चतुर्वेदी ने कहा कि भारत विश्व में नंबर एक पर हो, ये भावना स्वदेशी जागरण मंच की है, जो स्वावलंबी भारत अभियान द्वारा संभव है। सत्र का संचालन डॉ. राजीव कुमार ने किया।

  • तृतीय सत्र

इस सत्र में दो प्रस्ताव पारित किये गये। पहला, ‘विश्व व्यापार संगठन में राष्ट्रहित की रक्षा हो’ जिसका डॉ. अश्वनी महाजन ने वाचन किया। दूसरा, ‘‘वैश्विक उथल-पुथल, मंहगाई और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए आगे की चुनौतियां’’ प्रस्ताव को प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने वाचन किया। दोनों प्रस्तावों को चर्चा एवं संशोधनों के साथ पारित किया गया। इस सत्र में मंच संचालन डॉ. धर्मेन्द्र दुबे ने किया। मंच पर श्री आर. सुन्दरम, श्री कश्मीरी लाल की गौरवमयी उपस्थिति रही।

  • चतुर्थ सत्र

इस सत्र में गटशः चर्चा का आयोजन हुआ। पांच क्षेत्रों की गटशः चर्चा हुई। जिसमें दक्षिण क्षेत्र की गटशः चर्चा का संचालन डॉ. आर. लिंगामूर्ति द्वारा और श्री आर. सुन्दरम का मार्गदर्शन रहा। मध्य क्षेत्र गटशः बैठक का संचालन श्री जितेन्द्र गुप्त और मार्गदर्शन के रूप में प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा रहे। राजस्थान और उत्तर क्षेत्र में श्रीमति अर्चना मीना ने संचालन किया और श्री कश्मीरी लाल का मार्गदर्शन रहा। पूर्वी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और प.उ.प्र. संचालन श्री अजय उपाध्याय व मार्गदर्शक डॉ. अश्वनी महाजन रहे। पूर्वोत्तर बिहार, पूर्व बिहार को श्री अनन्दा शंकर पाणीग्रही एवं मार्गदर्शन श्री धनपतराम अग्रवाल व श्री अरूण ओझा रहे। गटशः सत्र में तीन महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई, जिसमें जिला उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलन, पूर्णकालिक कार्यकर्ता एवं रोजगार सृजन केंद्र विषयों पर चर्चा हुई।

  • पंचम सत्र

इस सत्र में तरंग माध्यम से विविध संगठनों के पदाधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों को संबोधित किया गया। अपने-अपने संगठनों में किस तरह से स्वावलंबी भारत अभियान को चलाने की योजना है, इस विषय में बताया एवं जो प्रकल्प विविध संगठनों में चल रहे है, उनकी जानकारी साझा की गई। जिसमें लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री-श्री प्रकाश चंद्र, ग्राहक पंचायत के अखिल भारतीय संगठन मंत्री-श्री दिनकर जी, विश्व हिंदू परिषद के टोली प्रमुख-श्री आनंद गोयल जी, भारतीय शिक्षण मण्डल-श्री संकरानंद जी, सहकार भारती-श्री संजय जी, भाजपा के श्री बी. सतीश जी, वनवासी कल्याण आश्रम-श्री अतुल जी, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद-श्री प्रफुल्ल जी, भारतीय किसान संघ-श्री गजेन्द्र जी, राष्ट्रीय सेवा भारती-श्री विजय पुराणिक जी की गौरवमयी उपस्थिति रही और उनके विचारों को सुनने का सुअवसर मिला।

  • षष्ठम् सत्र 

दिनांक 5 जून 2022 को राष्ट्रीय परिषद बैठक में पर्यावरण के निमिŸा षष्ठम् सत्र का शुभारंभ दीप प्रज्जलन के साथ प्रारम्भ हुआ। मंच पर श्री आर. सुन्दरम, श्री कश्मीरी लाल, श्री धनपतराम अग्रवाल, श्रीमती अमिता पत्की, वैज्ञानिक के. कृष्णमूर्ति, उद्यमी श्री राधेश्याम चोयल, डॉ. प्रतिभा चतुर्वेदी, श्री अनिल शर्मा एवं सत्र का संचालन श्री अमलान कुसुम घोष ने किया।

श्रीमती अमिता पत्की ने पर्यावरण संरक्षण के लिए जल, जमीन, जंगल एवं जन्तुओं के संरक्षण के लिए जनजागरण करने का आह्वान किया।

श्री धनपतराम अग्रवाल के अनुसार हमारे ऋषि एवं मुनियों ने जीवन में संयम के साथ ही त्यागपूर्वक ही भोग होने पर बल दिया है। इसी कारण स्वदेशी विकास के प्रतिमान के लिए प्राकृतिक संसाधनों का शोषण नहीं कर आवश्यकता अनुसार प्राकृतिक संसाधनो का दोहन कर ही मनुष्यों के जीवन में सामंजस्य लाया जा सकता है।

श्री महेश नेहवाल ने बताया कि पृथ्वी पर पीने के जल की मात्रा लगातार कम एवं प्रदूर्षित हो रही है जिससे हमें जहरीला जल पीना पड़ रहा है। इसलिए हमें अमृतरूपी वर्षा के जल का पीने के लिए अधिकतम उपयोग एवं संरक्षण करना चाहिए।

श्री के. कृष्णमूर्ति ने कहा कि प्लास्टिक का उपयोग कम से कम करे, अधिकतम पौधारोपण अर्थात् प्रत्येक व्यक्ति प्रतिवर्ष एक वृक्ष लगाएगा।

श्री राधेश्याम चोयल ने बताया कि स्वावलम्बी भारत अभियान से लाखों ही नहीं बल्कि करोडों युवाओं को जोड़ने के लिए डिजिटल प्रयास माईएसबीए नाम की वेबसाइट से किया गया है, जिसमें अभियान का भौतिक स्वरूप, जिला रोजगार सृजन केंद्र, डिजिटल सामग्री का विवरण, डेस्क बोर्ड से जुड़ना, वेबसाइट एवं सॉफ्टवेयर तथा प्रचार-प्रसार किया जायगा।

श्रीमती प्रतिभा चतुर्वेदी ने बताया कि वर्तमान में करीब 21 प्रतिशत महिलाएं रोजगार में है, शेष महिलाएं घर का कार्य करती है जो वर्क फॉर्स की श्रेणी में ही आती है। इन महिलाओं के लिए तरंग बैठकों के माध्यम से साप्ताहिक कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाये तो शेष महिलाओं को भी स्वरोजगार से जोड़ा जा सकता है।

  • सप्तम् सत्र

मंच पर श्री सतीश कुमार, श्री दीपक शर्मा ‘प्रदीप’, श्री अनिल शर्मा, प्रो. सोमनाथ सचदेवाएवं डॉ. धर्मेन्द्र दुबे तथा मंच का संचालन प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने किया।

श्री अनिल शर्मा ने बताया कि हमें रोजगार को नौकरी के स्थान पर आय उपार्जन से संबोधित करना चाहिए दूसरे रूप में रोजगार को सरकारी अथवा निजी नौकरी नहीं बल्कि स्वरोजगार से ही समझना चाहिए।

डॉ धर्मेन्द्र दुबे ने कहा कि स्वावलम्बी भारत अभियान के मीडिया प्रबन्धन के अन्तर्गत मीडिया के उपयोग के अन्तर्गत स्थानीय मीडिया का डेटाबेस तैयार करना, मीडिया के सभी प्रकार (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, सोशल, आउटडोर) से नियमित संपर्क में रहने के लिए राज्य एवं केन्द्र सरकारों के आर्थिक, सामाजिक, व्यापारिक, कृषि, पर्यावरण एवं कुटीर-लघु-मध्यम उद्यमों से संबन्धित जानकारी रखना।

श्री दीपक शर्मा ‘प्रदीप’ ने बताया कि स्वदेशी जागरण मंच के कार्यकर्ताओं ने पिछले 30 वर्षों में समाज के सहयोग से विभिन्न संपत्तियों एवं बैक खातों को संचालित किया जा रहा हैं। किसी भी प्रकार का आर्थिक सहयोग एवं व्यय के मामले में पारदर्शिता के लिए प्रांत टोली के समक्ष रखना चाहिए।

श्री सतीश कुमार ने अभियान की कार्यपद्धति के संबंध में प्रकाश डालते हुए बताया कि जब हमें छोटा काम करना होता है तो स्वयं करते है। बड़ा काम है तो टीम के सहयोग से करते है और यदि समाजव्यापी कार्य है तो सामाजिक, धार्मिक, शैक्षिणक एवं आर्थिक संस्थाओं को जोड़कर करते हैं। चाहे जिला रोजगार सृजन केंद्र हो, या उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलन हो, इसलिए अभियान को शैक्षिणक एवं सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से आगे बढ़ाना होगा और हमें उत्प्रेरक के रूप में कार्य करना होगा। स्वावलम्बी भारत अभियान के सफल आयोजन के लिए शंका समाधान के लिए सुझाव मांगे गये, जिसमें प्रमुख सुझाव रहे – उद्यमियों को तकनीकी उपलब्ध कराकर रोजगार में वृद्धि की जा सकती है, युवाओं को उत्पाद की मार्केटिंग करना सिखाना चाहिए, उत्पाद पर स्वदेशी सिम्बल लगाना चाहिए, स्कील्स क्रेडिटकार्ड के माध्यम से ऋण सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए, स्थानीय गीतों, नये उद्यमियों, व्यापारियों, स्टार्ट एप्प की जानकारियों को उद्बोधनों में सम्मिलित करना चाहिए।

  • समारोप सत्र

मंच पर श्री आर. सुन्दरम, श्री आनन्द देशपांडे, श्री अरूण ओझा, प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा, श्री अजय पत्की, डॉ. अश्वनी महाजन, श्री कश्मीरी लाल, श्री सतीश कुमार, श्री धनपतराम अग्रवाल, मंच संचालन डॉ. लिंगामूर्त्ति द्वारा किया गया।

श्री अरूण ओझा ने बताया कि स्वदेशी जागरण मंच अपने प्रारम्भिक काल से ही स्थानीय एवं देशी स्वरोजगार के नाम से विभिन्न आन्दोलनों के माध्यम से देश के उद्यमों के संरक्षण का कार्य करता रहा है। वर्तमान में देश में स्वरोजगार की लहर चल रही है जिसे स्वावलम्बी भारत अभियान के निमित परिवर्तन के रूप में चलने दिया जाना चाहिए।

श्री आनन्द देशपांडे ने बताया कि उन्होंने पुणे में सन् 1990 में आईटी कंपनी स्थापित की, जिसमें वर्तमान में 21000 से अधिक को रोजगार देवआसरा एनजीओ के माध्यम से दिया जा रहा है तथा यह एनजीओ पांच लाख से एक करोड़ तक के उद्यमियों को सलाह, मार्गदर्शन, मैटेरियल सप्लाई, डिजिटल एवं वेबसाईट से संबन्धित सहयोग देता रहा है।

श्री कश्मीरी लाल ने बताया कि इस राष्ट्रीय परिषद की बैठक में भाग लेने के बाद स्वावलम्बी भारत अभियान के लिए दोगुना समय देकर स्वदेशी उत्पादों की सूची में स्थानीय उत्पादों को जरूर छापे। इस अभियान में पत्रक, पत्रिका, स्वदेशी का समाचार साप्ताहिक छपना चाहिए, सड़क पर प्रदर्शन आवश्यक है, प्रचार, प्रस्तुति, प्रवास के द्वारा मंच एवं अभियान का कार्य साथ-साथ चलना चाहिए। अभियान में सफल उद्यमियों की सूची बनाकर प्रचार-प्रसार कर युवाओं को उपलब्ध कराने के साथ अभियान में सहयोग लेना चाहिए। स्वदेशी जागरण मंच एवं उद्यमिता से संबन्धित सभी प्रकार के दिवस मनाकर अभियान को सफल बना सकते है। 15 जुलाई से 21 अगस्त उद्यमिता प्रोत्साहन अपने-अपने जिले में आयोजित करने है। 25 सितंबर से 02 अक्टूबर – स्वदेशी सप्ताह, 19 नवम्बर – महिला निजता दिवस, 12 दिसंबर – बाबू गेनू बलिदान दिवस।

श्री आर सुन्दरम ने बताया कि बेरोजगारी की समस्या को स्थानीय स्तर पर ही युवाओं एवं उद्यमियों को स्वावलम्बी बनाकर दूर किया जा सकता है। देश को आत्मनिर्भर करने के लिए नई तकनीक भी आवश्यक है। मूल स्तर अर्थात नीचे स्तर के अनुभव को नकारे नहीं अपितु पर्यावरण के लिए पौधारोपण करना तथा प्राकृतिक संसाधनों के शोषण के स्थान पर उचित दौहन करना चाहिए है।

श्री आर सुन्दरम के प्रस्ताव पर राष्ट्रीय संगठक श्री कश्मीरी लाल द्वारा निम्नलिखित नये दायित्वों की घोषणा की गयी।

अखिल भारतीय दायित्व

1.    डॉ. राजीव कुमार (मुरादाबाद)-अखिल भारतीय सह विचार विभाग प्रमुख (प.उ.प्र. क्षेत्र संयोजक भी रहेंगे)

प्रांतीय दायित्व

तेलंगाना
1.    श्री ईश्वर – सह प्रांत संयोजक
2.    श्रीमति स्वप्न बाला – प्रांत महिला प्रमुख

दक्षिण कर्नाटक
1.    श्री गुरूराज- प्रांत संयोजक
2.    श्री विजय कृष्णा -संपूर्ण कर्नाटक के विचार विभाग प्रमुख

उत्तर कर्नाटक
1.    श्री समीर कुलकर्णी- प्रांत संयोजक
2.    डॉ. बसवराज सोमनवार्डी – प्रांत विचार विभाग प्रमुख

देवगिरि
1.    श्री गिरीश कंगले-प्रांत संयोजक

प. महाराष्ट्र
1.    श्री हेमंत साठे- प्रांत संयोजक
2.    श्री सुहास यादव – प्रांत विचार विभाग प्रमुख (पहले प्रांत संयोजक थे)

मध्य भारत
1.    श्री राकेश शर्मा (ग्वालियर) – प्रांत सह संयोजक (पहले प्रांत विचार विभाग सह संयोजक थे)

पंजाब
1.    श्री पंकज जिंदल (लुधियाना) – सह प्रांत संयोजक

मेरठ प्रांत
1.    श्री संदीप सिंह तोमर (बागपत)-प्रांत सह संयोजक

बृज प्रांत
1.    श्री मनोज अग्रवाल (हाथरस)- प्रांत सह संयोजक
2.    श्री लवकुश मिश्रा – प्रांतीय परिषद सदस्य

अवध प्रांत
1.    श्री बंशीधर- सह प्रांत संयोजक (पहले विभाग संयोजक थे)

कानपुर प्रांत
1.    श्री प्रवीण मिश्रा- प्रांत संयोजक (पहले प्रांत संपर्क प्रमुख थे)
2.    आदरणीय वरूण प्रपन्नाचार्य जी महाराज – प्रांत संपर्क प्रमुख (पहले प्रांत सह संपर्क प्रमुख थे)

पूर्वी उड़ीसा
1.    श्री निर्मल षाडंगी- प्रांत सह संयोजक

दक्षिण असम
1.    श्री शांतनु सूत्रधार-सह प्रांत संयोजक (पहले प्रांत प्रचार प्रमुख थे)

त्रिपुरा
1.    सीए रतनदास-सह प्रांत संयोजक (पहले प्रांत समन्वयक थे), अब दोनों रहेंगे।

उत्तर बंगाल
1.    श्री पार्थदम – सह प्रांत संयोजक

कु. दीप्ति पियासी द्वारा वन्देमातरम् गीत के साथ दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद् बैठक का समापन हुआ।

 

प्रो. राज कुमार मित्तल 
अखिल भारतीय विचार विभाग प्रमुख

Resolution – 1
Resolution – 2

 

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दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

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