आज सवेरे ही शोक समाचार आया कि 86 वर्ष की आयु में रतन टाटा स्वर्गवासी हुए। भारतीय उद्यमिता के प्रतीक टाटा ग्रुप के वर्तमान प्रमुख का जन्म 28 दिसंबर 1937 में हुआ।वह 1991 में टाटा ग्रुप के अध्यक्ष बने। वे जमशेद टाटा के प्रपौत्र और जेआरडी टाटा के भतीजे थे।
उनके ही नेतृत्व में 4 अरब डॉलर का टाटा कंपनी ग्रुप आज 162 अरब डॉलर का हो गया है,विश्व के 100 देशों में इसका कामकाज है।30 कंपनियां इस ग्रुप में है।
यदि आपकी दृष्टि है, इच्छा शक्ति है तो कैसे एक सामान्य देशी कंपनी ग्रुप से वैश्विक कंपनी बनाई जा सकती है, इसका उदाहरण है रतन टाटा।
एक बार जब (2005 में) टाटा मोटर्स समस्याओं से घिरी थी तो परेशान रतन टाटा अमेरिका में फोर्ड के सीईओ से मिले और उसको साथ मिलकर काम करने का प्रस्ताव रखा। टाटा फोर्ड के सीईओ ने कहा कि “तुम भारतीयों को मोटर कार्यक्षेत्र के बिजनेस की समझ ही नहीं है, तो इसमें पड़े ही क्यों?”
अपने को अपमानित महसूस कर टाटा वापस आए। पूरा ध्यान मोटर व्यवसाय पर केंद्रित किया। फिर टाटा सूमो, सफारी, नैनो कई सफल गाड़ियां दी।
उधर फोर्ड की हालत खराब हो रही थी और अंत में 2010 में टाटा ने 2.3 अरब डॉलर में फोर्ड ग्रुप का ही अधिग्रहण कर लिया और बताया कि भारतीय अमेरिकियों से ज्यादा दम रखते हैं और व्यापार की समझ भी।
रतन टाटा स्वदेशी उद्यमिता, नैतिकता, देशप्रेम के कारण से भारतीय जनमानस के श्रद्धा के पात्र बने।
आज जब भारत में उद्यमिता और उद्योग, निर्माण तेजी से बढ़ रहे हैं और भारत वैश्विक नेतृत्व करने की तैयारी कर रहा है, उसके लिए 100 रतन टाटा चाहिए होंगे, तभी बात बनेगी। युवा, उनको पढ़े ,प्रेरित हों और नए टाटा बनने की तैयारी करें..आज स्वदेशी परिवार की यही उनको विनम्र श्रद्धांजलि और भारत का संकल्प है ~सतीश