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भारत खुशहाल – इंडिया परेशान !

सोनीपत में परिवार में मां और बेटी! जरा इनकी आंखों में ध्यान से देखिए!कितनी खुश, कितना सुख! क्या यह सुख लाखों रुपए जुटाकर भी प्राप्त हो सकता है? नहीं! सुख का एहसास अंदर से,सकारात्मकता से,पारिवारिक संस्कार से,अपनेपन से आता है जो कि भारत की विशेषता है! भारत में ऐसे लाखों नहीं,करोड़ों परिवार हैं जो आर्थिक रुप से उतने संपन्न नहीं भी होंगे,बहुत प्रचार या शोहरत नहीं भी होगी,किंतु बहुत प्रसन्न खुश रहते हैं! स्वस्थ रहते हैं!इस चित्र में 82 वर्षीय माँ व उसकी 56 वर्षीय बेटी दीक्षा है!
दूसरी तरफ देखिए श्रीदेवी! जो इंडिया का प्रतिनिधित्व करती है!उसके पास पैसा है,शोहरत है,दुनियाभर में नाम है! किंतु मानसिक अवसाद इतना कि नशे की प्रक्रिया में घर में ही टब में डूब कर मर गई! 55साल की उम्र में ही! कुछ समय पहले प्रवीण बॉबी व दिव्या भी ऐसे ही चली गयीं! अमेरिका का दुनिया प्रसिद्ध गायक माइकल जैक्सन भी 57 वर्ष की आयु में ऐसे ही मर गया!
इसलिए हमको ध्यान करना है कि हम भारत बने जो 90-95% है न की इंडिया जो 5-10% ही होगा देश में!~~सतीश
आज का विचार:-look at a mistake as just a mistake.. Not as My or his Mistake!
B,coz My brings GUILT & His brings Anger! only ACCEPTANCE brings Improvement..
होली व् फ़ाग की बहुत बहुत शुभकामनाएं…💐

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

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