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महान एवं समृद्ध भारत @2047: उच्चतर शिक्षण संस्थानों की भूमिका

स्वावलंबी भारत अभियान के अंतर्गत स्वदेशी शोध संस्थान और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र के संयुक्त तत्वावधान में “महान एवं समृद्ध भारत @2047: उच्चतर शिक्षण संस्थानों की भूमिका” विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन केंद्रीय कार्यालय, धर्मक्षेत्र शिव शक्ति मंदिर, सेक्टर 8, आर के पुरम, नई दिल्ली में किया गया। इस संगोष्ठी का उद्देश्य 2047 तक भारत को एक महान और समृद्ध राष्ट्र बनाने में उच्च शिक्षण संस्थानों की भूमिका पर विचार किया गया।

संगोष्ठी में प्रमुख वक्ताओं में माननीय सतीश कुमार, अखिल भारतीय सह संगठक, स्वदेशी जागरण मंच, प्रो. अश्विनी महाजन, अखिल भारतीय सह संयोजक, स्वदेशी जागरण मंच और प्रो. राज कुमार मित्तल, अखिल भारतीय सह संयोजक, स्वदेशी जागरण मंच शामिल थे। संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रो. टंकेश्वर कुमार, कुलपति, केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा, और प्रो. सोमनाथ सचदेवा, कुलपति, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने की। स्वदेशी शोध संस्थान के सचिव प्रो. प्रदीप चौहान, सह सचिव प्रो. सरबजीत कौर, एडवोकेट गगन कुमार और पूरी टीम भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

 

इस संगोष्ठी में हरियाणा प्रांत के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने भाग लिया और अपने विचार साझा किए। इनमें शामिल थे: प्रो. सोमनाथ सचदेवा (कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय), प्रो. टंकेश्वर कुमार (केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा), प्रो. राज कुमार मित्तल (गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय), प्रो. राज नेहरू (श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय), प्रो. बलदेव राज कांबोज (हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय), प्रो. सुशील कुमार तोमर (जे. सी. बोस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय), प्रो. प्रकाश सिंह (दीनबंधु छोटू राम विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय), प्रो. सुरेश के. मल्होत्रा (महाराणा प्रताप उद्यानिकी विश्वविद्यालय), प्रो. दिनेश अग्रवाल (गुरुग्राम विश्वविद्यालय), प्रो. रमेश चंद्र भारद्वाज (महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय), प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान (श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय), प्रो. सुदेश (भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय), और प्रो. गजेन्द्र चौहान (दादा लख्मी चंद राज्य प्रदर्शनकारी और दृश्य कला विश्वविद्यालय)।

संगोष्ठी के दौरान विचार-विमर्श का मुख्य बिंदु रहा कि 2047 तक भारत को एक महान और समृद्ध राष्ट्र बनाने के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। सरकार ने ‘विकसित भारत @2047’ का लक्ष्य निर्धारित किया है, लेकिन स्वदेशी जागरण मंच का मानना है कि भारत को केवल विकसित ही नहीं, बल्कि महान और समृद्ध भी बनाना चाहिए। स्वदेशी जागरण मंच ने ‘महान और समृद्ध भारत 2047’ का नारा दिया है और इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए चार प्रमुख मार्ग सुझाए हैं: स्वदेशी, सहकारिता, विकेंद्रीकरण, और उद्यमिता।

माननीय सतीश कुमार ने कहा कि इस पहलू को समग्रता से देखना आवश्यक है। सरकारों का विजन और मैंडेट सीमित होते हैं, जबकि समाज का दृष्टिकोण व्यापक और दूरदर्शी होता है। 2047 में, जब भारत स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे करेगा, देश को कैसा बनाना है, इस पर समाज की दृष्टि से विचार करना चाहिए। उन्होंने बताया कि 2047 के भारत के लिए समाज को आठ प्रमुख स्तंभों पर ध्यान केंद्रित करना होगा: युवाओं की गतिशील जनसंख्या, पूर्ण रोजगार युक्त भारत, विश्व की सर्वोच्च अर्थव्यवस्था, मजबूत सुरक्षा तंत्र, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अग्रणी, पर्यावरण हितैषी भारत, विश्व बंधुत्व का प्रबल प्रवक्ता, और उच्च जीवन मूल्यों का प्रेरणास्रोत।

इन स्तंभों के आधार पर, समाज एक महान और समृद्ध भारत का निर्माण कर सकता है। उच्च शिक्षण संस्थानों की भूमिका इस प्रक्रिया में अत्यंत महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि ये संस्थान देश की युवा जनसंख्या को प्रभावित करते हैं। संस्थानों को युवाओं को प्रेरित करना चाहिए कि वे चुनाव के समय 100% मतदान करें और उनका मतदान राष्ट्रहित में हो। उन्हें आदर्श नागरिक बनने के लिए मार्गदर्शन देना भी आवश्यक है, ताकि वे अपने नागरिक कर्तव्यों का पालन करें और समाज के लिए जिम्मेदार बनें। युवाओं को जॉब सीकर नहीं, बल्कि जॉब प्रोवाइडर बनने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्हें उद्यमिता के महत्व को समझाना और प्रारंभ से ही इस दिशा में प्रेरित करना चाहिए। संस्थानों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे अपने छात्रों को उद्यमिता की ओर मोड़ सकें, जिससे वे रोजगार देने की दिशा में आगे बढ़ सकें।

संगोष्ठी का निष्कर्ष निकला कि भारत को 2047 तक महान और समृद्ध बनाने के लिए, सभी संबंधित पक्षों को एकजुट होकर कार्य करना होगा। उच्च शिक्षण संस्थान, उद्योग जगत, सरकार और समाज को मिलकर इस दिशा में कदम बढ़ाने होंगे, ताकि 2047 का भारत न केवल विकसित, बल्कि महान और समृद्ध राष्ट्र के रूप में स्थापित हो सके।

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

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