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वसुधैव कुटुंबकम! लक्ष्य एक, रास्ते दो!!

आज अहमदाबाद के संस्कार धाम में चल रही राष्ट्रीय परिषद के दूसरे दिन बड़ा दृश्य देखने वाला था!
इधर प्रोफेसर भगवती जी खड़े हुए और बोले “गत 27 वर्षों के भूमंडलीकरण ने इस देश को असमानता, बेरोजगारी और पैसे का बहिर्गमन,इसके अलावा दिया ही क्या है? इस राह से वसुधैव कुटुंबकम तो नहीं आने वाला, अपना घर ही लुटने वाला है!!”
उधर जब आईआईएम अहमदाबाद के सीनियर प्रोफेसर रविंद्र ढोलकिया खड़े हुए तो उन्होंने अपने तीखे तर्क बाण निकाले और बोले “हमारी सोच फ्री ट्रेड की ही रही है और फ्री ट्रेड से भारत को फायदा ही होगा,खराबी होने का कारण नहीं है!केवल 3℅शहरी भूमि है, यदि 97%ग्रामीण से 2-3%जमीन शहरों को दे दी जाए तो लोगों को कमाई के अधिक अवसर मिलेंगे!”
हमारे को सोच बदलनी चाहिए!”
अपने पुराने अनुभव और अपने तर्कों पर वह अडिग थे! खैर, जो भी हो आज गहरा चिंतन मंथन हुआ! यह तो निश्चित ही है, जीत सत्य की होगी!
उधर नागपुर के प्रो:योगानंद काले ने रोजगार पर लंबा व्याख्यान दिया और भारत को इस समस्या से निकलने के ठेंगड़ी जी के सुझाएं तरीकों से लेकर वर्तमान तक के तरीकों की चर्चा की!
जो 3 प्रस्ताव पारित हुए!उनमें सबको सुलभ,सस्ती-स्वास्थ्य सेवाएं व रोजगार के लिए नया विकास मॉडल विकसित करना होगा के प्रस्ताव डा:अश्विनी जी ने रखे। तीसरे प्रस्ताव में वैश्विक चुनौतियों को कैसे सामना करना, इसकी तयारी का आह्वान है…
देश भर के कार्यकर्त्ता, चिंतन,दिशा व् उत्साह लेकर प्रस्थान कर गए!–जय स्वदेशी
(स्वदेशी जागरण मंच की अहमदाबाद में राष्ट्रीय परिषद का उदघाटन करते कश्मीरी लालजी व् अरुण ओझा जी। फिर प्रोफेसर रविन्द्र ढोलकिया के साथ अनोपचारिक बातचीत)
स्वदेशी चिठ्ठी~सतीश

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

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