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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रचारक परंपरा!

कल शाम कोई 20-25 कार्यकर्ता स्वदेशी कार्यालय आ गए! और “कश्मीरीलाल जी का जन्मदिन है,अत: हम बधाई व शुभकामनाएं देने आए हैं,कहकर बैठ गए!”
जब वो बैठे और बातचीत चली तो शामजी कौशिक ने शिकायत की “मुझे तो केवल 2 घंटे पहले पता चला!”
तो कश्मीरी लाल जी ने उत्तर देते हुए कहा “मुझे तो अभी केवल 15मिनट पहले ही पता चला है कि ऐसा कुछ है और आप लोग आ रहे हैं!”
और यह सच था!मेरी परसों भी बात हुई,कल सवेरे भी उनसे फ़ोन पर बात हुई उन्होंने कहीं भी संकेत नहीं किया कि “मेरा जन्मदिन है,तो कुछ करना है क्या?”
मुझे दोपहर 2 बजे अपने कमलजीतजी,प्रचारक,ने बताया कि कश्मीरी लाल जी का कल जन्मदिन है! आज रात को क्योंकि उन्होंने उत्तराखंड जाना है!अतः शाम को ही कुछ कर लेना चाहिए!
और उसके बाद ही बलराज जी व डॉक्टर सुरेंद्र जी ने कुछ कार्यकर्ताओं को मैसेज दे दिया और कार्यकर्ता आ गए!
अपने जन्मदिन मनाने की भी कोई इच्छा नहीं,यह केवल कश्मीरी लाल जी के बारे में ही नहीं,अपितु अधिकांश संघ के प्रचारकों के बारे में होता है!कैसे होता है,क्यों होता है?प्रशिक्षण ही अनामिका का है!
संघ निर्माता डॉक्टर हेडगेवार ने यह प्रक्रिया प्रांरभ की! बाबा साहब आप्टे,उसके प्रथम प्रचारक माने जाते हैं!आज कोई संघ के 3 हज़ार प्रचारक हैं!जिनमें से 600 के लगभग विविध संगठनों में कार्य कर रहे हैं!
कुछ लोगों को प्रचारक जीवन की स्पष्टता नहीं रहती!अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद पारिवारिक या आर्थिक संसाधन जुटाने की क्षमता होने के बावजूद भी वे पूरा समय लगा संघ कार्य करते हैं!और केवल समय ही नहीं देते,बल्कि प्रचारक वह है,जो किसी भी स्थान पर,किसी भी दायित्व में,किसी भी संगठन में सहर्ष चला जाता है!
आज जो संघविचार का वटवृक्ष खड़ा है,उसमें केंद्रीय भूमिका इस प्रचारक परम्परा कि ही है!और यही एक बड़ा कारण है कि हिंदुत्व का,राष्ट्रभक्ति का,विचार प्रवाह ऐसे समर्पित भाव से काम करने वाले प्रचारकों की देशव्यापी श्रृंखला के कारण विराटरूप ले सका है!
इसके कारण से ही आज हज़ारों सेवा कार्य,हज़ारों विद्यालय हैं!वनवासी क्षेत्र मज़दूर क्षेत्र,किसान क्षेत्र,राजनीतिक क्षेत्र में हिंदुत्व,देशभक्ति,राष्ट्रीयता का बोलबाला हो रहा है!
इन प्रचारकों की एक ही इच्छा रहती है-
तन समर्पित,मन समर्पित और यह जीवन समर्पित,
चाहता हूँ,देश की धरती,तुझे कुछ और भी दूं!!
पत्तवेषकायो नमस्ते,नमस्ते!
प्रतिदिन प्रार्थना में हर स्वयंसेवक बोलता ही है!
कल एक दिन पूर्व ही है कश्मीरी लाल जी का जन्मदिन मनाते हुए कार्यकर्ता जय स्वदेशी,जय भारत~’स्वदेशी-चिट्ठी’

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

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