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ऑलिव की खेती करने के लिए NSG की नौकरी छोड़ बने किसान

भीड़ से अलग पहचान बनाने की चाह ने एक जवान को किसान बनाया।” राजस्थान के एक युवा ने अपने परिवार की किसानी परम्परा को आगे बढ़ाने का फैसला किया और अपने अनोखे प्रयासों से इलाके के सबसे इनोवेटिव किसान बन गए। वह आज दूसरों को भी अपने नवाचारी तरीकों से प्रेरित कर रहे हैं।

एक सैनिक से किसान बने मुकेश मांजू ने राजस्थान में ऑलिव की खेती की शुरुआत कर पारंपरिक खेती की पहचान बदल दी। उन्होंने अपने 26 एकड़ खेत में ऑलिव के साथ खजूर, अनार और मौसंबी जैसी एक्सोटिक फसलें उगाकर आस-पास के किसानों को आय बढ़ाने का नया रास्ता दिखाया।

मुकेश का खेती से लगाव बचपन से ही था, लेकिन वह परंपरागत खेती से हटकर करना चाहते थे। उन्होंने अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर खेती को चुना और अपने अनोखे प्रयासों से आज इलाके के सबसे इनोवेटिव किसान बन गए हैं।

मुकेश की यात्रा भारतीय सेना से शुरू हुई, जहां उन्होंने एनएसजी में काम किया और कमांडो के रूप में सेवा की। लेकिन खेती का जुनून उन्हें हमेशा आकर्षित करता था। गल्फ देशों में अपनी ड्यूटी के दौरान, वह स्थानीय किसानों से मिलकर नई तकनीक और फसलों की जानकारी लेते थे। आज, वह अपने अनुभव और ज्ञान को साझा करके दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं।

मुकेश मांजू की कहानी एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि कैसे एक जवान ने अपने जुनून और दृढ़ संकल्प के साथ खेती में एक नए युग की शुरुआत की। वह छुट्टियों में भी घर आने की बजाय खेती की ट्रेनिंग लेते थे, जो उनकी दृढ़ता को दर्शाता है। 10 साल पहले जब उन्होंने नौकरी छोड़कर पूरी तरह से खेती से जुड़ने का फैसला किया, तो परिवार और गांववालों ने उन्हें ताने दिए, लेकिन मुकेश को यकीन था कि वह कुछ अलग कर रहे हैं जिससे उनके जैसे किसानों की कमाई बढ़ाई जा सकती है।

आज, मुकेश मांजू फार्म में मल्टीपल फार्मिंग, एनिमल हसबैंड्री और एग्रो टूरिज्म से अच्छी खासी कमाई हो रही है। उनके खेतों से सालाना 20 टन ऑलिव का उत्पादन होता है, जिसे वह कच्चा बेचने के साथ-साथ ऑलिव ऑयल बनाकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। उनके खेत में लगी एक्सोटिक फल-सब्जियां देखने के लिए देश-विदेश से मेहमान आते हैं और यहां की खेती की तकनीक और नवाचार को देखकर प्रेरित होते हैं। मुकेश की कहानी हमें याद दिलाती है कि अगर हम अपने सपनों पर विश्वास करें और मेहनत करें, तो हम कुछ भी हासिल कर सकते हैं।

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

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