हरियाणाके ग्रामविकास प्रमुख अपने प्रचारक कुलदीप जी आज दिल्ली कार्यालय मिलने आए!

मैंने पूछा “किसानों की आय बड़ाने का कोई बड़ा सूत्र है तुम्हारे पास?” तो वे बोले “ मेरे पास ऐसे कोई बड़े सूत्र तो नहीं पर मैं आपको कम से कम तीन ऐसे किसानों के बारे में बता सकता हूँ जिनके पास थोड़ी ज़मीन होते हुए भी कमाई लाखों में करने के तरीक़े ढूँढ लिए हैं!” मैंने कहा “नाम व गाँव बताओ?” तो वे बोले “लाडवा के पास मेहरा गांव के राजकुमार! दूसरे मुरथल के पास देवडू के संजीव कुमार व हिसार के पास सोरखी गाँव के शमशेरसिंह ने ज़ीरो बजट नेचुरल खेती,मूल्यसंवर्धन व मार्केटिंग के फन्डे अपनाते हुए अपनी 10-11 एकड़ ज़मीन में से भी लाख रूपये मासिक तक की आय खड़ी कर ली है”
सुनकर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ और मैं सोचने लगा कि यदि हमारे किसान इसी तरह खेती को आधार बनाने लग जाएँ तो देश को ग़रीबी मुक्त व रोजगारयुक्त होने में देर नहीं लगेगी…उत्तम खेती’ मध्यम व्यापार, निम्न चाकरी..पुरानी कहावत है…आपका सतीश

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

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