भक्ति सेवा दान इनको सबसे पहले नमन करता हूँ

आप हैं यशोदा देवी… मथुरा के बाँकेबिहारी मंदिर के बाहर पीले रंग की साधारण सी धोती पहने, लोगों के जूते चप्पलों की रखवाली करती हैं. मात्र बीस वर्ष की अल्पायु में विधवा हो गई थीं, तभी से वे मंदिर के बाहर सेवा दे रही हैं.
भगवान कृष्ण के प्रति इनकी भक्ति व प्रेम के आगे हमारी सभी पूजा-अर्चना छोटी हैं। क्योंकि इस महिला ने पिछले 30 वर्षों में जूते-चप्पल की रखवाली करके बिना माँगे जिसने जो भी दिया उसे श्रद्धाभाव से रखते हुए पिछले तीस वर्षों में, 40 लाख (4000000/-) रुपये की रकम एकत्रित की. ना तो कभी भीख नहीं मांगी, और ना ही किसी से कुछ ज्यादा मांगा… केवल मंदिर आने वालों के जूते चप्पलों की रखवाली की… जिसके मर्जी में जो आया स्वेच्छा से दे गया वह इन्होंने खुशी-खुशी स्वीकार किया…
अब सुनिए खास बात :— अपनी तीस वर्षों की बचत द्वारा एकत्रित इस धन से इन्होंने एक गौशाला व एक धर्मशाला का निर्माण शुरू करवा दिया है… क्योंकि इनका कहना है कि, “इसमें मेरा क्या है, मैंने भक्तों से लिया और अब भक्तों की सेवा में ही वापस कर रही हूँ…”.
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सूचना साभार :- लवी भरद्वाज सावरकर

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

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