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यह धरती है बलिदान की…!! प्रणाम,ऐसी वीर माताओं को…!

यह दोनों ही चित्र राजस्थान की धरती के हैं!
परसों केंद्रीय खेल युवा व सूचना राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर, सीमा पर पाकिस्तानी गोलीबारी से शहीद हुए हंसराज गुर्जर के 15 दिन के बच्चे को दुलार करते हुए।
दूसरी तरफ संयोग देखीए,की कारगिल युद्ध के समय पर शहीद हुए गैलेंट्री अवार्ड विनर कोटा निवासी,सुभाष शर्मा का पुत्र जो उस समय पर केवल 9 मास का ही था।
अभी पिछले महीने वह देहरादून से आर्मी का कमीशन लेकर सेना में ऑफिसर हो गया है।
उसके पासिंग आउट परेड समाप्त होने के बाद जब वहां मां मिली,तो कुछ ऐसा होना ही था।
आंसू छलकने ही थे!
किंतु धन्य है, बबीता शर्मा! जिसने पति को युद्ध में गवाने के बाद भी यह कठिन और देशभक्तिपूर्ण निर्णय लिया कि बेटा भी,बड़ा होकर सेना में भर्ती होगा!
धन्य हैं वे माताएं जो अपने पति की शहादत के बाद भी अपने पुत्र को देश की रक्षा के लिए सेना में भेजती हैं!
बताते हैं कि भगत सिंह की मां से जब पूछा की भगत सिंह के शहीद होने पर रो रही हो तो उसने कहा नहीं मुझे इस बात का गम नहीं है कि मेरा भगत सिंह शहीद हो गया है बल्कि मैं और पुत्र नहीं जन सकती,कि जो देश के लिए इसी प्रकार काम आए,इसलिए रो रही हूं।
भारत और राजस्थान अपनी इस बलिदानी परंपरा पर गर्व करता है…
जय हिंद…जय हिंद की सेना…
माँ तुझे सलाम!…वन्देमातरम्..वन्देमातरम्..
लाल बहादुर शास्त्री जी का भी उदघोष था
जय जवान…जय किसान ~ ‘स्वदेशी-चिट्ठी’

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

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