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गेहूं को आटा बना कर बेचा तो मिला ₹3000 क्विंटल का भाव…!

पलवल(हरियाणा) के गांव जनौली के निवासी सरजीत 2 महीने पहले परेशान होकर अपने ही गांव के और स्वदेशी के कार्यकर्ता अजीत तेवतिया से मिलेऔर परेशानी से बोले “क्या करूं? गेहूं का समर्थन मूल्य 1735 रुपए भी नहीं मिल रहा है मुझे?”

तब अजीत जी ने उसको कहा “अरे इसको आटा बनाकर क्यों नहीं बेचते?उससे बल्कि अधिक लाभ होगा!”
सरजीत ने कहा “इसको लेगा कौन?
तो अजीत जी ने कहा “अरे, तुम प्रयास करो! थोड़ी सहायता हम भी करेंगे!”
और सरजीत ने गेहूं का आटा बनाया उसमें थोड़ा बेसन भी मिलाया!तो वह आश्चर्यचकित रह गया जब उसने एक सिंपल पैकिंग छपवाकर ‘स्वदेशी आटा’ के नाम से पलवल शहर में बेचा, तो लोगों ने हाथों हाथ लिया!
और वही गेहूं जिसका 1735 रुपए का भाव भी नहीं मिल रहा था अब आराम से ₹3000 क्ंविटल पर उसने बेचा!अपने सभी 5 एकड़ की गेहूं को उसने इसी तरीके से बेच दिया!
3 दिन पूर्व जब मैं शाहजहांपुर गया तो कुछ ऐसी ही कहानी मुजफ्फरनगर के अनुपम जी की मिली!
जिन्होंने गन्ने को गुड में बदलकर ₹50 किलो तक में बेचा है!
और अनुपम जी ने तो अपने जिले में गुड़ के कोल्हू लगवाने का अभियान ही शुरू कर रखा है!
मुजफ्फरनगर जिले के किसान इसी तरीके से चले तो गन्ने को मिल मे भेजने की जगह,गुड बनाकर बेचने में उन्हें दोगुनी कीमत भी मिलती है और गांव के लड़कों को रोजगार भी!
गन्ना मिलों से तो पेमेंट लेने में तीन-तीन महीने किसान को इंतजार करना पड़ता है!जबकि यहां तो रोज नकद ही मिल जाता है!कीमत भी अच्छी मिलती है!
यही है किसान को अपनी फसल के दाम दुगने लेने का स्वदेशी मंत्र
जय स्वदेशी~’स्वदेशी- चिट्ठी’

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

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