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नौकरी छोड़कर गांव में बसे इस दंपति ने बनाया रोजगार का नया मॉडल।

पंकज घाटगे और अमृता शिंदे ने नासिक के एक छोटे से गांव में एक अनोखा फार्म स्टे बनाकर आदिवासी और स्थानीय लोगों को नियमित रोजगार का अवसर प्रदान किया है। उनका यह फार्म स्टे किसी होटल या रिसोर्ट से बिल्कुल अलग है, जो मेहमानों को एक जीवन परिवर्तनकारी अनुभव प्रदान करता है। इस फार्म स्टे में रहते हुए, मेहमान ग्रामीण जीवन की सुंदरता का अनुभव कर सकते हैं, स्थानीय संस्कृति को जान सकते हैं और आदिवासी समुदाय के साथ जुड़ सकते हैं। पंकज और अमृता की यह पहल न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार देती है, बल्कि पर्यटन के माध्यम से ग्रामीण विकास को भी बढ़ावा देती है।

भारत में एक अनोखी पहल: पंकज घाटगे और अमृता शिंदे ने शहर की आरामदायक जीवनशैली और अच्छी नौकरी को छोड़कर आदिवासी क्षेत्रों में लोगों को रोजगार का अवसर प्रदान करने का फैसला किया। पंकज पहले मुंबई में एक एडवरटाइजिंग कंपनी के लिए काम करते थे, जबकि अमृता एक शिक्षिका थीं। एक दिन, नासिक के एक गांव में घूमते हुए, उन्होंने देखा कि इस आदिवासी गांव में लोगों के पास स्थायी रोजगार की कमी थी। इस दृश्य ने उन्हें गांव के लोगों की मदद करने के लिए प्रेरित किया, और उन्होंने अपना फार्म स्टे व्यवसाय शुरू किया, जिससे स्थानीय लोगों को नियमित रोजगार मिला।

भारत में एक अनोखी पहल: पंकज और अमृता ने गांव के लोगों को रोजगार देने के लिए 3 एकड़ ज़मीन खरीदी और स्थानीय लोगों को साबुन, शहद और मिट्टी के बर्तन बनाने का काम दिया। लेकिन इस पहल से अपेक्षित परिणाम नहीं मिले, जिससे उन्हें नए विचार की तलाश करनी पड़ी। 2018 में, पंकज ने अपनी नौकरी छोड़ दी और स्थानीय लोगों के साथ मिलकर एक फार्म स्टे बनाने का निर्णय लिया, जिससे गांव के लोगों को स्थायी रोजगार मिल सके। इस फार्म स्टे ने न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार दिया, बल्कि ग्रामीण पर्यटन को भी बढ़ावा दिया।

पंकज और अमृता ने अपने फार्म स्टे को पूरी तरह से प्राकृतिक और पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए आस-पास मिलने वाली नेचुरल सामग्री का उपयोग किया। कोरोना महामारी के दौरान, अमृता ने भी अपनी नौकरी छोड़ दी और गांव में आकर इस पारंपरिक घर को सजाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अब, यह खूबसूरत होम स्टे, जो वादियों और तालाब से घिरा हुआ है, मुंबई और पुणे जैसे शहरों से लोगों को आकर्षित करता है, जो शहर की भागदौड़ से दूर, प्रकृति के करीब रहने का अनुभव करना चाहते हैं। यह फार्म स्टे न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार देता है, बल्कि शहरी लोगों को भी प्रकृति के साथ जुड़ने का अवसर प्रदान करता है।

पंकज और अमृता के अवता फार्म स्टे ने न केवल पर्यटकों को प्रकृति के करीब लाने का काम किया, बल्कि गांव के लोगों को भी नियमित रोजगार का अवसर प्रदान किया। कई गांव वाले परिवारों के सदस्य अब अवता फार्म स्टे में काम करते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। पंकज और अमृता का यह प्रयास, जिसमें उन्होंने शहर की आरामदायक जीवनशैली को छोड़कर गांव के लोगों के लिए नए अवसर पैदा किए, वास्तव में सराहनीय है। उनकी इस पहल ने न केवल गांव के लोगों को रोजगार दिया, बल्कि ग्रामीण विकास को भी बढ़ावा दिया।

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

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