पिछले कुछ वर्षों से विश्व भर में सब तरफ भारतीय और हिंदू नेतृत्व छाता नजर आ रहा है।
अभी अभी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने राष्ट्रीय इंटेलिजेंस प्रमुख के अति महत्वपूर्ण पद पर तुलसी गाबार्ड को नियुक्त किया है, जो न केवल पूर्व सैनिक है,बल्कि अपने हिंदू होने को गर्व भी घोषित करती रही है।
इसी तरह विवेक रामास्वामी को प्रशासन क्षमता का महत्वपूर्ण विभाग दिया है, एलॉन मस्क के साथ।
अमेरिका की बड़ी कंपनियां गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, ट्विटर, मास्टरकार्ड नासा, आदि इन सब पर या तो हिंदू प्रमुख दायित्वों पर काम कर चुके हैं या कर रहे हैं।
विश्व बैंक, यूनाइटेड नेशन, आईएम एफ हो या अन्य कोई अंतरराष्ट्रीय संस्थान,सबके प्रमुख पदों पर कहीं न कहीं अब भारतीय और हिंदू कार्य संभालने लगे हैं।
इंग्लैंड के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक अभी 6 माह पहले पद पर थे ही।तो मॉरिशस के प्रबंध जगन्नाथ, गुयाना के भारत जगदेव, सेशेल्स देश के ववेल रामकलावन, सिंगापुर के देवनं नायर ,फिजी के महेंद्र चौधरी और पुर्तगाल के अदानियों या तो राष्ट्र अध्यक्ष थे या अभी भी हैं।
फिर नेपाल,भूटान,श्रीलंका तो हैं ही। याने हिंदू और भारतीय लोग फिर से विश्व नेतृत्व के लिए तैयार हैं।विश्व में 3 करोड़ भारतीय(किसी भी देश से अधिक)फैले हैं जो भारतीय विचारों और संस्कृति के वाहक भी हैं और प्रतिवर्ष 125 अरब डॉलर,भारत में पैसा भी भेजते हैं,जिससे रुपए की कीमत को स्थिर रखने में सुविधा होती है…पुराना गीत विश्व में गूंजे हमारी भारती, जन जन उतारे आरती, धन्य देश महान… याद आ रहा था…
तुलसी गाबार्ड, विवेक रामास्वामी और कश्मीरी लाल जी का कल्लू प्रवास के चित्र