चाहिए एक भागीरथ और!!

परसों जब मै देहरादून के स्वदेशी मेले के समापन में गया तो वहाँ के सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति भी देखी!
एक कार्यक्रम जो माँ गंगा पर था उसे देख मेरे आँसू निकल पड़े! उसमें भागीरथ द्वारा माँ गंगा को धरती पर लाने के लिए की गयी साधना, आजकल गंगा का मैला होना व स्वच्छता की अपील बच्चियों ने नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत की!
बाद में मैंने अपने संयोजक सुरेन्द्र जी से पूछा “वास्तव में गंगा मैली होनी कहाँ से शुरू हो जाती है और अभी तक स्वच्छता के प्रयास सफल क्यों नहीं हो रहे?” सुरेन्द्र जी बोले “ मैली होना तो ऋषिकेश से ही हो जाती है पर कानपुर पहुँचते पहुँचते तो गंगा रहती ही नहीं वहाँ से तो मैलापानी ही हो जाती है..कांग्रेस सरकारों से तो कोई अपेक्षा भी नहीं थी पर कर उमा भारती भी कुछ नहीं पायी…देखो अब गड़करी जी कुछ कर दिखाएँ तो वैसे साल तो उन्हें भी हो गया है पर…”
तब मैंने सोचा “सरकारों, मंत्रियों के सहारे तो गंगामैया साफ़ होने से रही…जैसे गंगा को धरती पर लाने के लिए भगीरथ को तपस्या करनी पड़ी थी ऐसे ही किसी नये भागीरथ को स्वच्छ जनजागरण अभियान की महातपस्या करनी होगी” मन में ही प्रश्न उठा जनजागरण से कैसे होगा? उत्तर भी अन्दर से आया “एक भगीरथ अशोक सिंघल’ ने जनजागरण से ही 500 साल का कलंक ‘बाबरी ढाँचा’ साफ़ कर दिया!
एक भगीरथ दतोपंत ठेंगडी ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मायाजाल को तोड़ने हेतू स्वदेशी जागरण की गंगा फिर भारत में ले आए! एक नेतृत्व हिन्दुत्ववादी राजनीति की गंगा ले आया है,तो कोई भगीरथ(प्रचारक या अन्य कार्यकर्ता) ही माँ गंगा को निर्मल करने की जनजागरण तपस्या करेगा…यह सरकारों के बस का नहीं ! कौन है वो भागीरथ भविष्य बतायेगा…होगा अवश्य, शायद जल्दी होगा यह भी विश्वास है…जय माँ गंगे…सतीश

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *