नई टेक्नोलॉजी देश हित में साधक या बाधक?

कल दिल्ली कार्यालय पर मिलने के लिए अपने पुराने कार्यकर्ता और कंप्यूटर साइंस के Bennett यूनिवर्सिटी(TOI) नोएडा में सीनियर प्रोफेसर दीपक गर्ग आए।
वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काफी तेजी से काम कर रहे हैं ।उनसे जब चर्चा निकली तो मैंने उनसे पूछा “ब्लॉकचेन,आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस,डेटा एनालसीस या रोबोटिक्स यह भारत जैसे देश के हित में है या नहीं?
क्योंकि भारत में युवा जनसंख्या काफी है!जबकि दुनिया में तो प्रोड़ता छाई है।उन्हें ड्राइवरलेस कारों की आवश्यकता होगी या फिर ऐसी टेक्नोलॉजी जिसमें लोग कम से कम लगे।किंतु भारत को तो ऐसी टेक्नोलॉजी चाहिए जिसमें अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिल सके।इस नई टेक्नोलॉजी से भारत को कितना फायदा होगा या कितना नुकसान?
उन्होंने अपने तर्क दिए “पहली बात तो यह है कि इस टेक्नोलॉजी को टाला नहीं जा सकता।यदि हम इसको नहीं दिशा देंगे तो भी यह आएगी ही।
उन्होंने कहा “यह तो पानी का बड़ा प्रवाह है अगर ठीक से दिशा दे दी तो यह फसल ऊगाएगा,पीने को पानी देगा और यदि यह दिशाहीन रहा तो खड़ी फसल को भी बर्बाद कर देगा।अतः इससे बचने का नहीं बल्कि इस को ठीक से दिशा देने का हमें सोचना चाहिए”
मैंने कहा कि अभी हम सोचेंगे!उन्होंने देश भर में और दुनिया भर में AI से कैसा कैसा चल रहा है,इसका चित्रण किया!
हमें सोचना होगा कि तेजी से आ रही,बदल रही इन वैज्ञानिक तकनीकों को कैसे उपयोग करना! करना या नहीं करना,कितना करना,कैसे करना?
स्वदेशी चिट्ठी के पाठक क्या सोचते हैं, बताएं?~सतीश
गतिविधियां:-गत दिनों नागपुर में कश्मीरी लाल जी प्रवास पर थे!व्यस्त व उत्तम प्रवास।डा: दीपक जी व मै,एक विश्वविद्यालय में बोलते हुए…

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

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