प्रेम की ताकत अपार!!
कल त्रिवेंद्रम में कार्यकर्ताओं ने मां अमृतामई के यहां जाकर, दर्शन करने का कार्यक्रम रखा था।
त्रिवेंद्रम से लगभग 100 किलोमीटर पर उनका आश्रम है। लेकिन जब मैं वहां पहुंचा तो आश्चर्य से भर गया। हजारों लोग, जिनमें आधे से अधिक विदेशी थे,वहां अम्मा के दर्शन के लिए खड़े थे।
जब मेरा नंबर आया तो अम्मा ने मुझे भी अपनी छाती से लगाया और मेरे कान में “मेरा बेटा.. मेरा बेटा” ऐसा लगातार बोलती रहीं।सामान्य से अधिक समय दिया। मुझे सुखद आश्चर्य हुआ।
लेकिन मैं हैरान इस बात से भी था की अम्मा न अंग्रेजी बोल पाती हैं न हिंदी न कोई अन्य भाषा केवल मलयालम बोलती है। कक्षा 7 तक पड़ी हुई है, मछुआरा बिरादरी में जन्मी है।
लेकिन विश्व में 100 उनके आश्रम है भारत में, केवल केरल में ही 80 से अधिक शिक्षण केंद्र हैं। विश्वविद्यालय है, मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल हैं।देश भर में बड़े-बड़े आश्रम हैं।
आखिर उनके अनुयाई लाखों में क्यों है? सब प्रकार की पूछताछ मैंने की। केवल एक ही उत्तर सब जगह से मिला…अम्मा का निश्छल प्रेम।
एक जर्मन महिला से मैंने विस्तार से बातचीत की। “Why you are here?”
उसने साफ कहा “Amma loves me so much.only to get that love n feel I come to India after every 6 month.”
बाद में हम कुछ कार्यकर्ता बैठे।कई दृष्टिकोण से चर्चा हुई पर सबका निष्कर्ष एक था की मां के पास विशुद्ध प्रेम की ताकत है,जिसके कारण से लाखों विद्वान, बड़े-बड़े लोग दुनिया भर से उनसे आ जुड़ते हैं।सब कुछ समर्पण कर देते हैं।
प्रेम की शक्ति अपार है,कल मैंने साक्षात देखा…कभी आप भी देखना जाकर।
वैसे मां संघ और स्वदेशी को बहुत सम्मान देती हैं।उनके यहां संघ, स्वदेशी के कार्यकर्ता, प्रचारकों का आना-जाना लगा रहता है।
नीचे:अम्मा आश्रम के कुछ फोटो।1.. मां अमृतानंदमई 2. जर्मन महिला से क्यों आती हैं पर बात करते हुए और प्रचारक टोली के साथ।

