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आश्चर्यजनक है,किंतु सत्य है! कभी गोबर थेपने वाली अनपढ़ लड़की बनी…

700 करोड रुपए वाली कंपनी की मालकिन !!
(कश्मीरी लाल जी ने मुझे आज यह सक्सेस स्टोरी भेजी) *महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र की रहने वाली कल्पना की कहानी वास्तव में कल्पना से परे की है!
वह एक बड़े गरीब घर की 12 साल की थी जब उसकी शादी उससे 10 साल बड़े मुंबई निवासी लड़के से कर दी गई! किंतु 2 साल में ही उस को घर से निकाल दिया गया! वह विदर्भ में वापस मायके आकर रहने लगी!
घर में गोबर लीपना आदि ही काम था!
कुल मिलाकर वह परेशान हो गई और आत्महत्या करने को हुई! किंतु निकट की रिश्तेदार के समझाने पर उसने जिंदगी से भागने नहीं,बल्कि कुछ कर गुजरने का फैसला किया! और 1 वर्ष बाद वह 15 साल की होने पर मुंबई मे एक दूर के रिश्तेदार के घर जा कर रहने लगी!
वहां पर उसने कपड़े सिलाई का काम शुरू कर दिया! धीरे-धीरे करके उसे काम मिलता गया तो उसने कुछ और महिलाएं भी अपने पास रख ली, व एक बड़ा बुटीक खोल लिया!
हिम्मत कि उसने, तो भाग्य ने भी साथ दिया!
उसने एक ब्यूटी पार्लर भी खोल लिया!व बाद में एक रेस्टोरेंट भी!
अब विदर्भ के अपनेे पूरे परिवार की देखरेख यह बड़े आराम से करने लगी!
तभी कमानी ट्यूब जो एक पुरानी कंपनी थी जो कि सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर से बंद हो गई थी!उसके कर्मचारी जिनमें महिलाएं भी थी उसे पुनः खोलने को प्रयासरत थे! इसने हिम्मत मारी व उनको कहा कि “यह कंपनी मैं चलाकर दिखाती हूं,आप सब मेरा साथ दो!”
उनको भी जरूरत थी सब मिलजुलकर एक टीम के नाते से लग गए! व उसने 8-10 साल में दिन रात एक कर दिया! कंपनी की एक-एक चीज को समझा!कठिनाइयों के आगे उसने घुटने नहीं टेके!और अंततः उसको एक प्रॉफिट वाली अच्छी बड़ी कंपनी बना दिया!
अब तो वह कुल मिलाकर छोटी-बड़ी 8 कंपनियों की 700 करोड़ टर्नओवर वाली कंपनी ग्रुप की मालकिन हो गई है!
उसे राजीव गांधी अवार्ड व पद्मश्री से सम्मानित भी किया गया है।हिम्मत, मेहनत और लगन से कैसे आगे बढ़ा जा सकता है…इसका एक उत्तम उदाहरण है कमानी ट्यूबस की मालकिन कल्पना!!!
मुंबई की बारिश मे प्रवास भी,आनंद भी..
आज मेरा 3 दिन का मुंबई का प्रवास पूर्ण हुआ!
आज मुंबई विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर सुहास पेडणेकर जी से बातचीत हुई!प्रांत संघचालक सतीश मोड़,प्रो वाइस चांसलर प्रोफेसर कुलकर्णी व अन्य बंधुओं के साथ कैसे मुंबई व महाराष्ट्र को रोजगार युक्त किया जाए, इस पर खुली व सार्थक चर्चा हुई!
कुल मिलाकर 3 दिन का प्रवास मुंबई का बहुत अच्छा हुआ!प्रेस वार्ता, बैठकें, मिलन…व्यस्त प्रवास!
बार-बार आ रही बारिश का भी आनंद लिया व लता मंगेशकर जी तथा मुकेश अंबानी के घर को भी निकट से देखा…जय हो ~सतीश-‘स्वदेशी-चिट्ठी’

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

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