आज सवेरे कश्मीरी लाल जी व मै कलकत्ता पहुंचे, पूर्वी भारत के स्वदेशी विचार वर्ग हेतू
अपने अ:भा:सहसंयोजक धनपत राम जी के घर अभी चाय पी ही थी, की उनके योग शिक्षक आ गए। कोई एक घंटे योग कराते रहे…
जब जाने लगे तो मेरी उत्सुकता हुई, मैने उनसे पूछा “कैसा है योग का कार्य..कमाई ठीक हो जाती है.. या बस सेवा ही है?”
उसने पहचान लिया की मै प्रचारक हूँ…वह खुलकर बोलने लगा..”मै सुधांशु त्रिवेदी व् मेरी पत्नी सुष्मिता दोनों ही बैंगलोर से योग व योग चिकित्सा के certified yog trainer हैं!पहले वहां के विवेकानंद योग संस्थान में ही नोकरी करते रहे, पर अब 9-10साल से अपना स्वतंत्र योग केंद्र चलाते है… बहुत संतुष्टि मिलती है..लोगों को योग कराके या योग चिकित्सा करके! परिणाम बहुत अछे रहते हैं!”
मैने कहा “ठीक- ठीक कमाई बताओ, भाई?”
सुधांशु बोले ” हमारे केंद्र पर आकर योग सीखने वालों से 1200₹ महीना लेते हैं..45-50 लोग मासिक सदस्य हैं.. मै घर जाकर 1 घंटे कराने का ₹6000लेता हूँ! 7 घर प्रतिदिन करता हूँ। ऐसे कुल कमाई तो हम दोनों मिलकर एक लाख तक कर लेते हैं। पर हाल का किराया आदि पर 30,000₹ तक खर्च भी हो जाता है..फिर भी काफ़ी है!”
फिर मेरा सवाल था “कलकत्ता में कितने योग शिक्षक होंगे..?
“सैंकड़ों..अब तो इस काम में भी काफी कम्पीटीशन हो गया है, सर..” पर उसके चेहरे पर बहुत संतुष्टि थी।
यहाँ यह भी ध्यान रहे की विश्व भर में योग कोई 6 लाख करोड़₹ की मार्किट हो गया है… किन्तु 40%कमाई अकेले अमेरिका कर रहा है,भारत तो 20%से भी कम है..हमारे योग से हमारा रोजगार व समृद्धि बड़े, इस और विशेष ध्यान करना चाहिये…
बंगाल का राजनीतिक मौसम:-मैने स्टेशन जाते हुए टैक्सी चालक से पूछा “आगे कोन सी पार्टी जीतेगी भाई?”
उसका उत्तर था “सर, ममता दीदी ने तो बहुत खराब कर दिया है.. मोदी पर ही आस है..”
आज का विचार “आप गरीब घर में जन्मे, इसमें आपका कोई कसूर नहीं, पर आप गरीब ही मरते वक्त रहे तो आप दोषी हैं..”
निचे:-कश्मीरी लाल जी योग देखते हुए व् योग शिक्षक से मेरी बात करते हुए का फ़ोटो उन्होंने ले लिया… ~सतीश•••’स्वदेशी-चिट्ठी’