कल जब मैं दिल्ली से कठुआ आ रहा था तो ट्रेन में मुझे सोनीपत के निकट वाले गांव के विक्कीे रघुदासी मिले! बातों बातों में मैने पूछा “कितनी ज़मीन है तुम्हारी भाई?”
तो विक्की बोले “कोई 16 एकड़ ज़मीन है, पानी भी अच्छा लगता है,पर कमाई कुछ ख़ास होती ही नहीं है”
” इसलिए पुलिस में नोकरी के लिये कोशिश में हूँ! क्योंकि मेरा शरीर, लंबाई अच्छी है!”
मैंने कहा “अकेले भाई हो,फिर खेती से ही क्यों नहीं कमाते? मैं ऐसे लोगों को जानता हूँ जिनके पास 9-10 एकड़ ज़मीन है और वे अब एक लाख रुपये महीने तक की कमाई कर रहे हैं”
उसने मेरी तरफ़ देखा और पूछा “वो कैसे करते हैं?”
तो मैंने उसको इस प्रकार के कुछ प्रयोगों के बारे में बताया! जिसके सुनने के बाद उसने कुछ और प्रश्न भी पूछे, जिसके मैने यथासंभव उतर दिए!
जब मै उतरने को हुआ तो उसने कहा “ठीक है,मैं पॉलीहाउस करूँ या खुम्ब या 3 फसलें पर अब नौकरी नहीं करूँगा, खेती से ही कमाऊँगा!आप मेरे गाँव जरूर आना!”
जब मैं गाड़ी से उतर रहा था तो उसकी आँखों में चमक साफ दिख रही थी!और जब तक गाड़ी ओझल हुई,तब तक वह हाथ हिलाकर अभिवादन करता रहा!
(टीम कठुआ के साथ! चार दिन पूर्व केन्द्रीय मंत्री हरदीप पुरी से मिल काशी, सोनभद्र में उद्योग संकुल लगाने हेतु पत्र देते प्रदीप जी व काशी के आन्नद श्रीवास्तव,विक्की का फोटोग्राफ~.’स्वदेशी चिठ्ठी’)