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विश्व उद्यमिता दिवस: नवाचार और स्वावलंबन की ओर एक कदम

प्रत्येक वर्ष 21 अगस्त को विश्व उद्यमिता दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस उन उद्यमियों को समर्पित है, जिन्होंने अपनी रचनात्मकता, साहस और संकल्प के बल पर न केवल अपने व्यवसायों को सफल बनाया, बल्कि समाज और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उद्यमिता आज के युग में न केवल आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण माध्यम है, बल्कि यह रोजगार सृजन, नवाचार और सामाजिक परिवर्तन का भी एक प्रमुख स्रोत है।

उद्यमिता का सीधा संबंध नवाचार से है। यह वह प्रक्रिया है, जिसमें उद्यमी नए विचारों, उत्पादों और सेवाओं को विकसित करते हैं, जो बाजार की मांग को पूरा करने के साथ-साथ समाज को भी नई दिशा देते हैं। उद्यमिता से न केवल आर्थिक विकास होता है, बल्कि यह समाज के विभिन्न वर्गों को भी आत्मनिर्भर बनाने में सहायक होती है।

आज, छोटे और मझोले उद्यम (SMEs) से लेकर बड़े उद्योगों तक, सभी में उद्यमिता का योगदान देखा जा सकता है। यह न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी रोजगार के अवसर पैदा करती है। इसके अलावा, उद्यमिता का प्रभाव सामाजिक क्षेत्रों में भी स्पष्ट है, जहां सामाजिक उद्यमी शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण और समानता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम कर रहे हैं।

भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में, उद्यमिता केवल एक आर्थिक गतिविधि नहीं, बल्कि समाज के हर तबके के लिए प्रगति और स्वावलंबन का मार्ग है। आज, जब हम उद्यमिता दिवस मना रहे हैं, यह समय है कि हम इस विषय पर विचार करें कि उद्यमिता हमारे देश के भविष्य के निर्माण में कैसी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है और आगे भी निभा सकती है।

उद्यमिता का सीधा अर्थ है, जोखिम उठाकर नए व्यवसाय की स्थापना करना और उसे सफलतापूर्वक संचालित करना। लेकिन यह केवल एक व्यवसाय शुरू करने तक सीमित नहीं है; यह नवाचार, नेतृत्व, और समाज के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलने का माध्यम है। उद्यमी न केवल अपने लिए बल्कि समाज के लिए भी रोजगार के अवसर पैदा करते हैं और इस प्रकार देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करते हैं।

भारत में उद्यमिता का इतिहास बहुत पुराना है। सदियों से, यहां के लोग विभिन्न प्रकार के उद्योगों और व्यवसायों में संलग्न रहे हैं। आज, ‘स्टार्टअप इंडिया’ और ‘मेक इन इंडिया’ जैसे अभियानों ने उद्यमिता को एक नई दिशा और गति दी है। देशभर में युवा उद्यमी नए-नए स्टार्टअप्स के साथ उभर रहे हैं, जो केवल देश की जरूरतों को पूरा करने में मदद नहीं कर रहे हैं, बल्कि वैश्विक बाजार में भी अपनी पहचान बना रहे हैं।

हालांकि, उद्यमिता की राह में कई चुनौतियाँ भी हैं। पूंजी की कमी, पर्याप्त मार्गदर्शन का अभाव, और सरकारी प्रक्रियाओं में जटिलता कुछ ऐसी समस्याएं हैं जिनसे नए उद्यमियों को जूझना पड़ता है। लेकिन इन चुनौतियों का सामना करके ही एक सफल उद्यमी अपने सपनों को साकार कर सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि सरकार और समाज मिलकर एक ऐसा वातावरण तैयार करें जिसमें नए उद्यमियों को हर संभव सहायता मिले ।

स्वावलंबी भारत अभियान के तहत युवाओं को जैविक उद्यमिता के माध्यम से पढ़ाई के साथ-साथ कमाई भी कर सके, विश्व उद्यमिता दिवस के अवसर पर उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलन कार्यक्रम का आयोजन भारत के विभिन्न स्कूल,कालेज एवं विश्वविद्यालयों में एंटरप्रेन्योर सिखाने का अभियान शुरू किया गया है।
अच्छे जैविक उद्यमी बनने के लिए जैविक उद्यमिता पुस्तक में पांच गुण बताये गये है जो इस प्रकार है ।

1. Start Earning early,earn while you learn.

2. Don’t Be job sheekar,be job provider .

3. Think big,think new, think out of box.

4. Be passionate ,hard working, risk taking reliable and techno surbey.

5. Nation first ,Swadesi must.

 

सरकार द्वारा उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं और नीतियां बनाई गई हैं। ‘स्टार्टअप इंडिया’ जैसी पहलें, नए व्यवसायों को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन योजनाओं के तहत, नए उद्यमियों को टैक्स में छूट, आसान ऋण सुविधा, और तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है। यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि उद्यमियों को बुनियादी ढांचे, मार्केटिंग और वित्तीय सलाह में सहयोग मिले, ताकि वे अपने व्यवसाय को सफलतापूर्वक संचालित कर सकें।

उद्यमिता के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी भी तेजी से बढ़ रही है। महिला उद्यमी आज समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं और न केवल अपने परिवारों को, बल्कि समाज और देश की अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बना रही हैं। महिला सशक्तिकरण के इस युग में, महिला उद्यमिता को प्रोत्साहित करना अत्यधिक महत्वपूर्ण है, ताकि वे भी देश की प्रगति में बराबर का योगदान दे सकें।

उद्यमिता दिवस केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक अवसर है, जब हम उद्यमिता के महत्व और उसकी चुनौतियों पर विचार कर सकते हैं। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि उद्यमी न केवल आर्थिक विकास के वाहक होते हैं, बल्कि वे समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणा का स्रोत भी होते हैं।

आइए, इस उद्यमिता दिवस पर हम संकल्प लें कि हम उद्यमियों के लिए एक अनुकूल वातावरण तैयार करेंगे, जहां वे बिना किसी बाधा के अपने सपनों को साकार कर सकें। यह केवल उनके व्यक्तिगत विकास के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक है।

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

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