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भारत प्रेरित, भारत नियंत्रित, विश्व की समृद्धि

भारत, विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक, न केवल अपने सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि वैश्विक विकास और समृद्धि में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। आज के वैश्विक परिप्रेक्ष्य में, जहां स्थिरता, शांति, और समृद्धि की अत्यधिक आवश्यकता है, भारत की भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। भारत प्रेरित और भारत नियंत्रित नीतियों के माध्यम से, विश्व को समृद्धि के मार्ग पर अग्रसर किया जा सकता है।

भारत की प्रेरणा: आत्मनिर्भरता से वैश्विक नेतृत्व तक

भारत ने सदियों से अपनी आध्यात्मिकता, योग, आयुर्वेद, और सांस्कृतिक धरोहर के माध्यम से विश्व को प्रेरणा दी है। महात्मा गांधी का सत्य और अहिंसा का संदेश, जो आज भी प्रासंगिक है, ने वैश्विक स्वतंत्रता आंदोलनों को प्रेरित किया। वर्तमान में, ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ (विश्व एक परिवार है) का भारतीय सिद्धांत, वैश्विक शांति और सौहार्द्र का मार्गदर्शन कर सकता है।

आत्मनिर्भर भारत (आत्मनिर्भरता) की पहल ने देश को आर्थिक, सामाजिक और वैज्ञानिक क्षेत्रों में नई ऊँचाइयों पर पहुंचाया है। यह पहल न केवल भारत के विकास में सहायक सिद्ध हो रही है, बल्कि अन्य देशों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन रही है। आत्मनिर्भरता का अर्थ केवल आत्मकेंद्रितता नहीं है, बल्कि वैश्विक सहयोग और संतुलन के साथ एक समृद्ध विश्व का निर्माण है।

भारत नियंत्रित: संतुलित विकास और वैश्विक
नेतृत्व

भारत की विदेश नीति हमेशा से ही शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और पंचशील के सिद्धांतों पर आधारित रही है। वर्तमान में, भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ और ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीतियों ने दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा दिया है। इसके अलावा, भारत की सक्रिय भागीदारी BRICS, G20, और संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक संगठनों में इसे एक जिम्मेदार और सक्षम वैश्विक नेता के रूप में स्थापित कर रही है।

भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम भी एक और क्षेत्र है, जहां भारत ने अपने नियंत्रण और नेतृत्व का प्रदर्शन किया है। ‘मिशन मंगल’, ‘चंद्रयान’, और ‘गगनयान’ जैसे महत्वाकांक्षी मिशनों ने न केवल भारत को अंतरिक्ष की दौड़ में अग्रणी बनाया है, बल्कि अन्य विकासशील देशों को भी प्रेरित किया है। भारत के सस्ते और प्रभावी अंतरिक्ष कार्यक्रमों ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भी वैश्विक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया है।

वैश्विक समृद्धि में भारत का योगदान

भारत की भूमिका केवल आर्थिक विकास और तकनीकी उन्नति तक सीमित नहीं है। भारत ने हमेशा मानवतावादी दृष्टिकोण को महत्व दिया है। चाहे वह कोविड-19 महामारी के दौरान ‘वैक्सीन मैत्री’ के माध्यम से गरीब और विकासशील देशों को टीके उपलब्ध कराना हो, या पर्यावरणीय संकटों से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की स्थापना हो, भारत ने बार-बार यह सिद्ध किया है कि वह वैश्विक समृद्धि में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है।

भारत का कृषि क्षेत्र भी वैश्विक खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जैविक कृषि और पारंपरिक कृषि पद्धतियों का उपयोग कर, भारत न केवल अपने कृषि उत्पादन को बढ़ा सकता है, बल्कि अन्य देशों के लिए भी एक मॉडल प्रस्तुत कर सकता है।

सांस्कृतिक नेतृत्व और ‘सॉफ्ट पावर’ का प्रभाव

भारत की सांस्कृतिक धरोहर और उसका वैश्विक प्रभाव, जिसे ‘सॉफ्ट पावर’ कहा जाता है, विश्व में उसकी सशक्त उपस्थिति का आधार है। योग, आयुर्वेद, भारतीय संगीत और कला, विश्वभर में भारतीय संस्कृति के राजदूत के रूप में कार्य कर रहे हैं। भारतीय फिल्म उद्योग, विशेषकर बॉलीवुड, भी वैश्विक दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ रहा है।

भारतीय संस्कृति की व्यापकता और उसकी सार्वभौमिकता ने विश्व में एक सकारात्मक और समृद्ध वातावरण का निर्माण किया है। ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ की सफलता ने दिखाया कि कैसे भारतीय संस्कृति और जीवनशैली के तत्व, संपूर्ण विश्व को जोड़ सकते हैं और एक स्वस्थ और संतुलित जीवन का मार्गदर्शन कर सकते हैं।

शिक्षा और ज्ञान की शक्ति

भारतीय शिक्षा प्रणाली और ज्ञान परंपरा भी वैश्विक समृद्धि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। प्राचीन समय से ही भारत, तक्षशिला और नालंदा जैसे शिक्षा केंद्रों के माध्यम से ज्ञान का प्रसार करता रहा है। वर्तमान में, भारतीय वैज्ञानिक, इंजीनियर, और विशेषज्ञ, दुनिया भर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं।

भारतीय आईटी उद्योग और विज्ञान में अभूतपूर्व प्रगति, शिक्षा के क्षेत्र में भारत की शक्ति का उदाहरण है। इसके साथ ही, भारत में विकसित हो रही स्टार्टअप संस्कृति भी वैश्विक नवाचार को प्रोत्साहित कर रही है।

पर्यावरणीय स्थिरता में नेतृत्व

जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संकटों के बीच, भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) और मिशन लाइफ (Lifestyle for Environment) जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से पर्यावरणीय स्थिरता में नेतृत्व का प्रदर्शन किया है। भारत का सतत विकास का मॉडल, जो पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक तकनीक का मिश्रण है, एक वैश्विक उदाहरण बन सकता है।

भारत का जैविक कृषि को बढ़ावा देने का प्रयास, जल संरक्षण, और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग में वृद्धि, वैश्विक पर्यावरणीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।

समावेशी विकास और सामाजिक न्याय

भारत ने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के सिद्धांत पर आधारित विकास की राह अपनाई है। यह नीति, जिसमें सभी समुदायों और वर्गों का समान विकास सुनिश्चित किया जाता है, वैश्विक स्तर पर सामाजिक न्याय और समानता का संदेश देती है।

डिजिटल इंडिया, जन धन योजना, और अन्य समावेशी योजनाओं ने भारत में आर्थिक असमानता को कम करने और वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाने का कार्य किया है। इन प्रयासों को अन्य विकासशील देशों में लागू कर, वैश्विक स्तर पर समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।

स्वास्थ्य और वैश्विक कल्याण में योगदान

भारत की फार्मास्युटिकल उद्योग और स्वास्थ्य सेवाओं में अग्रणी भूमिका, वैश्विक स्वास्थ्य और कल्याण में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। कोविड-19 महामारी के दौरान, भारत ने ‘वैक्सीन मैत्री’ अभियान के तहत विभिन्न देशों को टीकों की आपूर्ति की, जिससे विश्व स्तर पर उसकी भूमिका और बढ़ गई।

इसके अलावा, भारत का आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों का ज्ञान, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के लक्ष्यों को पूरा करने में सहायक सिद्ध हो सकता है। भारत के पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का वैश्वीकरण, एक अधिक स्वस्थ और समृद्ध विश्व का निर्माण कर सकता है।

नैतिक और आध्यात्मिक नेतृत्व

भारत ने हमेशा से नैतिकता और आध्यात्मिकता को महत्व दिया है। वैश्विक समस्याओं का समाधान केवल भौतिक साधनों से नहीं किया जा सकता, इसके लिए नैतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण भी आवश्यक है।

भारतीय दर्शन, जो ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ (सभी सुखी हों) और ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के सिद्धांतों पर आधारित है, विश्व को शांति और समृद्धि की दिशा में प्रेरित कर सकता है।

अंतिम विचार

भारत प्रेरित और भारत नियंत्रित विश्व समृद्धि की दिशा में किए जा रहे ये प्रयास, एक नए युग का सूत्रपात कर सकते हैं। यह युग, जहां ज्ञान, सांस्कृतिक समृद्धि, तकनीकी प्रगति, और नैतिकता का संगम होगा, एक ऐसे वैश्विक समाज का निर्माण करेगा जो स्थायी शांति, संतुलित विकास, और समावेशी समृद्धि की नींव पर आधारित होगा।

भारत का यह सपना, केवल एक देश का नहीं, बल्कि पूरे विश्व का सपना है, जो इसे सच में बदलने के लिए भारत की ओर देख रहा है। विश्व की समृद्धि के इस महान कार्य में, भारत की भूमिका न केवल महत्वपूर्ण है, बल्कि अनिवार्य भी है। और यही वह दिशा है, जहां भारत अपनी प्रेरणा, नियंत्रण, और नेतृत्व के साथ विश्व को एक नई और समृद्ध दिशा में ले जा रहा है।

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

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