दो या तीन बच्चे, घर और देश को रखते अच्छे।

नीचे वाला चित्र, विश्व के सबसे अमीर व्यक्ति एलोन मस्क का है। जो अपने 6 वर्षीय बेटे को कंधे पर बिठाकर एक कांफ्रेंस में जा रहा है।उसके कुल 11 बच्चे हैं और वह अधिक जन्म दर होनी चाहिए इसके बड़े प्रबल प्रवक्ता है।
अब दुनिया के प्रगतिशील (वास्तव में प्रतिगामी सोच वाले) लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि कैसे कहें कि नहीं! जन्म दर और कम होनी चाहिए।
वास्तव में यह भोग वासना वाले, प्रतिगामी विचार वालों की ही सोच है की बच्चे एक या दो हों या न ही हों।इस समय पर सारे देश में और विश्व भर में भी जन्म दर 2.2 होनी चाहिए, इस पर चर्चा चल रही है।
सरसंघचालक जी ने भी इसके समर्थन में बयान दिया है।आंध्र के तमिलनाडु के मुख्यमंत्री भी बोल चुके हैं। यह वास्तव में कोई सामान्य बयान नहीं बल्कि भारत का सबसे बड़ा चुनौती पूर्ण काम होगा की अपनी जन्मदर (TFR) को वापस 2.2 पर लाना,जो अभी 1.9 तक आ गई है।
देश में व्यापक चर्चा और परिवर्तन की समाज की इच्छाशक्ति विकसित करना सबसे पहली शर्त होगी। “देश के युवाओं का रोजगार नौकरी से नहीं, उधमिता से और जन्म दर कम नहीं, अधिक से देश का भला होगा” इस नेरेटिव को बनाने में जुटना होगा।बस फिर भारत की जय जयकार है।~सतीश

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *