संवाद और हिन्दू पूर्वजों के स्मरण से समाधान होगा,इस्लामिक समस्या का?

दो दिन पूर्व सरसंघचालक मोहन भागवत जी ने स्पष्ट किया “हर जगह पर मस्जिदों की खुदाई के अभियान चलाना, यह उचित मार्ग नहीं।”
और यह सच है। भले ही अपने लोगों को जल्दी से यह हजम न हो, अपने को इस समस्या को ऐसे देखना चाहिए कि आज का मुस्लिम समाज कोई बाहर से नहीं आया। ये यहां के ही हिंदू समाज से परिवर्तित लोग हैं,जब औरंगजेब जैसे धर्मांध इस्लामी शासक आए और तलवार की नोक से धर्म परिवर्तन करवाया।
अब 22..23 करोड़ लोगों को न तो आप बाहर भेज सकते हैं, न ही इनसे लड़कर अपने यहां गाजा जैसे हिंसक अभियान चलाना उचित है।तो समाधान क्या है?
आज हिंदू समाज सुरक्षित है।शासन अब तुष्टिकरण वाला नहीं है।ऐसे में उन्हें यह याद दिलाना कि “आप भी पुराने हिंदू समाज से हो और हमारे ही हो, इसलिए हम सब भारतीय हैं का नारा लगाओ और अल्पसंख्यक का भाव छोड़कर सामान्य समाज की तरह व्यवहार करो।”
यह संवाद शुरू करना और उनमें से जिनको जचे उनको घर वापसी करवाना और इस समाज से समरसता बढ़ाना यह भी एक मार्ग है। यद्यपि यह पहले विश्व में कहीं भी नहीं हुआ है किंतु हिंदुत्व विश्व का सबसे दमदार विचार है। कृष्ण की गीता पड़े हुए लोग यह करके विश्व में एक नया उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं। बड़ा हिम्मतवाला काम है, चलो करके देखें!~सतीश
पिछले महीने जब मैं हैदराबाद के स्वदेशी मेले में गया तो वहां एक मुस्लिम परिवार ने मेरे साथ फोटो खिंचवाने का आग्रह किया।

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

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